Mahalaya 2024: क्यों मनाया जाता है महालया अमावस्या का पर्व? इन उपाय से मां दुर्गा होंगी प्रसन्न
सनातन धर्म में पितृ पक्ष को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मत है कि पितृ पक्ष के दौरान स्नान-ध्यान तर्पण श्राद्ध कर्म करने से जातक और उसके परिवार को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इसी दिन महालया का त्योहार भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की अवधि को पितरों को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना जाता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हुई थी, जिसका समापन आज यानी 02 अक्टूबर को है। पितृ पक्ष के आखिरी दिन को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाता है। साथ ही इसी दिन महालया का पर्व भी मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में इस तिथि को खास माना जाता है, क्योंकि इस शुभ दिन पर मां दुर्गा धरती पर आगमन के लिए कैलाश पर्वत से विदा लेती हैं। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कि क्यों मनाया जाता है महालया अमावस्या (Kab hai Mahalaya Amavasya 2024) का पर्व और इस दिन किए जाने वाले उपाय के बारे में।
कब है महालया (Mahalaya 2024 Date)
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 01 अक्टूबर को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर हो गई है। वहीं, इसका समापन 03 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 02 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या और महालया का पर्व मनाया जा रहा है।
महालया अमावस्या पूजा मुहूर्त 2024 (Mahalaya Amavasya 2024 puja Timing)
कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से 12 लेकर 34 मिनट तक।
रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर से 01 बजकर 21 मिनट तक।
अपराह्न काल- दोपहर 01 बजकर 21 से लेकर 03 बजकर 43 मिनट तक।
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इसलिए मनाते हैं महालया अमावस्या (Mahalaya Amavasya Significance)
महालया अमावस्या के दिन पितरों का विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाता है। इसके अलावा पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तर्पण करने से जातक के जीवन में खुशियों के जीवन में आगमन होता है। इसके अलावा लोगों को अन्न, धन और वस्त्र का दान करने से मां दुर्गा और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय
पितरों की पूजा करें और गरीब लोगों को भोजन खिलाएं। उनसे जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। मान्यता है कि इससे पूर्वज प्रसन्न होंगे और हमेशा उनका आशीर्वाद बना रहेगा।
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