Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahakumbh Mela 2025: नागा साधु अपने पास क्यों रखते हैं अस्त्र और शस्त्र? रोचक है वजह

    महाकुंभ (Mahakumbh 2025) धीरे-धीरे अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। इसमें नागा-साधु भी शामिल हुए थे हालांकि कुछ दिन बाद उन्होंने इस पावन मेले से अपनी विदाई ले ली थी लेकिन इनसे जुड़ी कुछ बातें अभी भी चर्चा में हैं। कहा जाता है कि इनका जीवन बेहद कठिन होता है जिसपर चलना कोई आसान बात नहीं है तो चलिए इनसे जुड़े कुछ विशेष तथ्यों पर नजर डालते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 24 Feb 2025 11:38 AM (IST)
    Hero Image
    Mahakumbh Mela 2025: इसलिए अस्त्र-शस्त्र लेकर चलते हैं नागा साधु।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाकुंभ का पर्व अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। अब त्रिवेणी तट का ये भव्य मेला चंद दिनों बाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसके प्रति भक्ति सबके दिल में अभी भी कम नहीं हुई है। ऐसे में इससे (Mahakumbh Mela 2025) जुड़ी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सभी चीजों की जानकारी हम आप तक पहुंचा रहे हैं। आपने अक्सर नागा साधुओं के हाथ में त्रिशूल, तलवार और भाला देखा होगा, जिसे देखने के बाद आपके मन में भी यही सवाल उठा होगा कि आखिर साधु होने के बाद भी वे अपने पास हथियार क्यों रखते हैं, जबकि इनका इससे दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसलिए अस्त्र-शस्त्र लेकर चलते हैं नागा साधु

    तो चलिए आपकी इस कंफ्यूजन को हम दूर करते हैं। दरअसल, नागा साधुओं के हथियार लेने के पीछे बात ऐसी है कि नागा साधु भगवान शिव के परम भक्त हैं और धर्म की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य ने नागा साधुओं और अखाड़ों की स्थापना की थी। इसलिए नागा साधु अपने अस्त्रों का इस्तेमाल धर्म की रक्षा के लिए करते हैं. उनका अस्त्र केवल आत्मरक्षा के लिए होता है, ना कि किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए।

    अस्त्र-शस्त्र का महत्व

    नागा साधुओं के पास जो अस्त्र होते हैं, जैसे - त्रिशूल, तलवार और भाला, उनका बहुत बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। वहीं, त्रिशूल शिव जी का प्रिय अस्त्र है और इसे शक्ति, सृष्टि और विनाश का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने के रूप में देखा जाता है।

    जबकि तलवार और भाला वीरता और साहस के प्रतीक होते हैं। यह अस्त्र उन साधुओं के शौर्य और बलिदान का प्रतीक होते हैं जो धर्म और समाज की रक्षा में जुटे रहते हैं। नागा साधु इन अस्त्रों को केवल आत्मरक्षा के रूप में रखते हैं, ताकि अगर कभी जरूरत पड़े तो वे अपनी रक्षा कर सकें।

    यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2025: शिव भक्तों के लिए बेहद खास है महाशिवरात्रि का पर्व, जानिए इससे जुड़ी कथा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।