Mahakumbh Mela 2025: नागा साधु अपने पास क्यों रखते हैं अस्त्र और शस्त्र? रोचक है वजह
महाकुंभ (Mahakumbh 2025) धीरे-धीरे अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। इसमें नागा-साधु भी शामिल हुए थे हालांकि कुछ दिन बाद उन्होंने इस पावन मेले से अपनी विदाई ले ली थी लेकिन इनसे जुड़ी कुछ बातें अभी भी चर्चा में हैं। कहा जाता है कि इनका जीवन बेहद कठिन होता है जिसपर चलना कोई आसान बात नहीं है तो चलिए इनसे जुड़े कुछ विशेष तथ्यों पर नजर डालते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाकुंभ का पर्व अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। अब त्रिवेणी तट का ये भव्य मेला चंद दिनों बाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसके प्रति भक्ति सबके दिल में अभी भी कम नहीं हुई है। ऐसे में इससे (Mahakumbh Mela 2025) जुड़ी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सभी चीजों की जानकारी हम आप तक पहुंचा रहे हैं। आपने अक्सर नागा साधुओं के हाथ में त्रिशूल, तलवार और भाला देखा होगा, जिसे देखने के बाद आपके मन में भी यही सवाल उठा होगा कि आखिर साधु होने के बाद भी वे अपने पास हथियार क्यों रखते हैं, जबकि इनका इससे दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है।
इसलिए अस्त्र-शस्त्र लेकर चलते हैं नागा साधु
तो चलिए आपकी इस कंफ्यूजन को हम दूर करते हैं। दरअसल, नागा साधुओं के हथियार लेने के पीछे बात ऐसी है कि नागा साधु भगवान शिव के परम भक्त हैं और धर्म की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य ने नागा साधुओं और अखाड़ों की स्थापना की थी। इसलिए नागा साधु अपने अस्त्रों का इस्तेमाल धर्म की रक्षा के लिए करते हैं. उनका अस्त्र केवल आत्मरक्षा के लिए होता है, ना कि किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए।
अस्त्र-शस्त्र का महत्व
नागा साधुओं के पास जो अस्त्र होते हैं, जैसे - त्रिशूल, तलवार और भाला, उनका बहुत बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। वहीं, त्रिशूल शिव जी का प्रिय अस्त्र है और इसे शक्ति, सृष्टि और विनाश का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने के रूप में देखा जाता है।
जबकि तलवार और भाला वीरता और साहस के प्रतीक होते हैं। यह अस्त्र उन साधुओं के शौर्य और बलिदान का प्रतीक होते हैं जो धर्म और समाज की रक्षा में जुटे रहते हैं। नागा साधु इन अस्त्रों को केवल आत्मरक्षा के रूप में रखते हैं, ताकि अगर कभी जरूरत पड़े तो वे अपनी रक्षा कर सकें।
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