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    MahaKumbh 2025: सबसे प्रमुख माना जाता है निरंजनी अखाड़ा, ये चीजें बनाती हैं इसे खास

    हिंदू धर्म में महाकुंभ मेले को बेहद विशेष माना जाता है। इस बार इस भव्य मेले का आयोजन 13 जनवरी से हो रहा है। कहते हैं कि एक बार त्रिवेणी तट पर स्नान करने से सभी दुखों का नाश हो जाता है और जीवन में शुभता आती है। अगर आप इस भव्य मेले का हिस्सा बनना चाह रहे हैं तो आपको इससे जुड़ी बातों को जरूर जानना चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 04 Jan 2025 01:26 PM (IST)
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    MahaKumbh 2025: निरंजनी अखाड़ा की जरूरी बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ शुरू होने वाला है। इस बार यह 13 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी, 2025 तक रहेगा। इस भक्तिमय मेले में कई सारे पवित्र अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनका हिस्सा बनने से व्यक्ति के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। वहीं, इस दौरान (Mahakumbh Tradition) 13 अखाड़ों के सभी साधु-संत भी आते हैं, जिनमें से एक निरंजनी अखाड़ा भी है। इस अखाड़े की चर्चा हर बार खूब होती हैं, तो आइए यहां इसकी विशेषताएं जानते हैं।

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    दूसरों अखाड़ों से क्यों अलग है निरंजनी अखाड़ा (Niranjani Akhada)

    निरंजनी अखाड़ा के लोग भगवान कार्तिकेय को मानते हैं। इनके मठ और आश्रम इन प्रमुख स्थानों जैस - प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंटआबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वड़ोदरा आदि में बने हुए हैं। कहा जाता है कि निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वरों की संख्या 33 और नागा संन्यासियों की संख्या 10,000 से भी ज्यादा है। माना जाता है कि इनके पास करोंड़ों की संपत्ति है, जिससे वे अखाड़े (MahaKumbh 2025 Significance) के मठ, मंदिर और अन्य जरूरी कार्यों को करते हैं।

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    सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे संत हैं इसमें शामिल

    आपको बता दें, निरंजनी अखाड़े में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधु-संन्यासी शामिल हैं। सभी साधु अपनी-अपनी विशेष छवि के लिए जाने जाते हैं। वहीं, संगम नगरी प्रयागराज में आज यानी 4 जनवरी को महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की पेशवाई हो रही है।

    इस शोभायात्रा में अखाड़े के सभी साधु-संत भाग लेंगे। जानकारी के लिए बता गें, निरंजनी अखाड़े की स्थापना 726 ईस्वी (विक्रम संवत् 960) में गुजरात के मांडवी में हुई थी। इसकी शुरुआत महंथ अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी आदि महान संतों ने की थी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।