पृथ्वी से भारी और आकाश से ऊंचा क्या है? इन सवालों का जबाव देकर युधिष्ठिर ने बचाई थी भाइयों की जान
हिंदू धर्म ग्रंथों में अनगिनत पौराणिक कथाएं मिलती हैं जो ज्ञान का भंडार तो हैं ही साथ ही व्यक्ति को प्रेरणा देने का काम भी करती हैं। इन्हीं में से एक महाभारत ग्रंथ भी है। महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार जब यक्ष ने कुछ सवाल किए तो युधिष्ठिर ने उनके कुछ ऐसे उत्तर दिए जो आज भी प्रासंगिक हैं अर्थात आज भी इनका मूल्य कम नहीं हुआ है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ (Mahabharata Story) में कौरवों और पांडवों के बीच हुए संघर्ष का वर्णन मिलता है। इसमें एक प्रसंग भी मिलता है, जिसमें यक्ष और युधिष्ठिर के बीच हुए संवाद का वर्णन है। यक्ष और युधिष्ठिर के बीच हुए सवाल-जवाब ज्ञान से परिपूर्ण हैं।
प्यास से व्याकुल हुए पांडव
कथा के अनुसार, जब पांडव वनवास काट रहे थे, तो इस बीच तब एक दिन युधिष्ठिर ने नकुल को पानी लेने के लिए भेजा। नकुल को तलाब ढूंढने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। जब तक नकुल तालाब के पास पहुंचा, तब तक बह बुरी तरह से थक चुका था और प्यास से व्याकुल हो रहा था।
जब नकुल पानी पीने लगा, तो उस तालाब में रहने वाले एक यक्ष की आवाज आई और उसने कहा कि तुम तभी इस तालाब का पानी पी सकते हो, जब मेरे सवालों का जवाब दोगे। नकुल ने इस चेतावनी को अनसुना कर दिया और तालाब से पानी पीने लगा। पानी पीते ही नकुल अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ा। जब कई देर तक नकुल वापस नहीं आया, तब युधिष्ठिर ने सहदेव को भेजा। लेकिन सहदेव ने भी यही गलती की और वह भी अचेत होकर गिर गया।

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सभी भाईयों ने दोहराई गलती
इसी तरह भीम और अर्जुन भी उन दोनों की खोज पर निकले और तालाब के पास उन्हें अचेत पाया। उन दोनों ने भी यक्ष की बातों को अनसुना कर दिया, जिस कारण उन्हें भी मृत्यु का सामना करना पड़ा। अंत में जब युधिष्ठिर उन सभी की खोज में निकले, तो तालाब के पास सभी को मृत अवस्था में पाया। तब युधिष्ठिर ने यक्ष की बातों का ध्यान से सुना और प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार हो गए।
यक्ष और युधिष्ठिर के बीच संवाद -
यक्ष ने धर्मराज युधिष्ठिर से कई सवाल पूछे थे, इनका जवाब युधिष्ठिर ने कुछ इस प्रकार दिया था -
- यक्ष का सवाल - मैं कौन हूं?
- युधिष्ठिर का जवाब - तुम न तो शरीर हो, न ही इंद्रियां, न मन और न ही बुद्धि। तुम शुद्ध चेतना हो, जो सर्वसाक्षी है।
- यक्ष का सवाल - पृथ्वी से भारी क्या है?
- युधिष्ठिर का जवाब - पृथ्वी से भारी मां है, अर्थात मां पृथ्वी से भी बढ़कर है।
- यक्ष का सवाल - आकाश से ऊंचा क्या है?
- युधिष्ठिर का जवाब - पिता का कद आकाश से भी ऊंचा होता है।
- यक्ष का सवाल - वायु से तेज कौन है?
- युधिष्ठिर का जवाब - मन की गति वायु से भी तेज है।
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- यक्ष का सवाल - तिनकों से अधिक संख्या किसकी है
- युधिष्ठिर का जवाब - व्यक्ति की चिंताओं की संख्या तिनकों से कई है।
- यक्ष का सवाल - जीवन का उद्देश्य क्या है?
- युधिष्ठिर का उत्तर - जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है, जो जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है।
- यक्ष का सवाल - जन्म का कारण क्या है?
- युधिष्ठिर का उत्तर - अतृत्प वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल, जन्म का कारण बनते हैं।
- यक्ष का सवाल - वह कौन है, जो जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है?
- युधिष्ठिर का उत्तर - जिसने स्वयं और आत्मा को जान लिया है, वही जन्म-मरण के बंधन से मुक्त है।
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इस प्रकार युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों का सही जवाब दिया। इससे प्रसन्न होकर यक्ष ने ने युधिष्ठिर के सभी भाइयों को पुनर्जीवित कर दिया और पानी भी पीने दिया।
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