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    Mahabharata: महाभारत ग्रंथ से सीखें एकजुटता का महत्व, मिलती हैं और भी कई सीख

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 11:27 AM (IST)

    महाभारत धर्म और अधर्म के बीच 18 दिनों तक चला युद्ध था जिसमें पांडवों की जीत हुई। पांडवों को युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण का साथ मिला। इस युद्ध से हमें काफी सीख मिलती है जिसे जीवन में उतार लिया जाए तो आप कई तरह की समस्याओं का हल पा सकते हैं।

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    Mahabharata story in hindi (Picture Credit: Canva) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत का युद्ध असल में धर्म और अधर्म को लेकर लड़ा गया था। इस युद्ध से यह सबक लिया जा सकता है कि युद्ध से हमेशा नुकसान होता है, इसलिए बातचीत से समस्या का समाधान करना चाहिए। इसके साथ ही और भी कई सबक हमें इस ग्रंथ से मिलते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    पांडवों की जीत का कारण

    महाभारत ग्रंथ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मुश्किल वक्त आने पर भी हमें अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जिस प्रकार पांडवों ने वनवास और अज्ञातवास के समय भी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और युद्ध में भी एक-दूसरे का सहारा बने। पांडवों की एकता ने ही युद्ध में उनकी जीत में बड़ी भूमिका निभाई।

    (Picture Credit: Freepik)

    जरूर लें ये सीख

    द्रौपदी का चीरहरण होने पर भी सभा में मौजूद बड़े-बड़े विद्वान और महान योद्धा चुपा साधे रहे, जिसका परिणाम एक भीषण युद्ध था। ऐसे में हमें इस घटना से यह सीख मिलती है, कि जहां अन्याय हो रहा हो, वहां कभी मौन नहीं रहना चाहिए। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के साथ ही हमें महिलाओं का सम्मान करने की भी सीख लेनी चाहिए।

    इस गलती से बचें

    कर्ण महाभारत ग्रंथ का एक महान योद्धा था, लेकिन इसके बाद भी उसे एक बुरे अंत का सामना करना पड़ा। जिसका कारण था कि उनसे दुर्योधन जैसे अधर्मी का साथ दिया। ऐसे में हमें इससे यह सीख लेनी चाहिए कि भले ही आपका मित्र कितनी ही मददगार क्यों न हो, लेकिन अगर वह आपको बुरी संगत की ओर ले जा रहा है, तो ऐसे में उसका साथ छोड़ने में ही भलाई है।

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    युद्ध नहीं है हल

    कौरवों की महत्वाकांक्षाएं बहुत ज्यादा बढ़ गई थीं। दुर्योधन से ईर्ष्या और अहंकार के चलते अकेले ही हस्तिनापुर का सारा राजपाट हड़प लेना चाहता था। उनसे पांडवों को पांच गांव देने से भी मना कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि भीषण युद्ध में हजारों सैनिकों और योद्धाओं ने अपनी जान गवाई। ऐसे में इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें ईर्ष्या व अहंकार जैसे भावों का त्याग कर देना चाहिए, अन्यथा यह हमारे लिए मुसीबत बन सकते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।