अर्जुन के इस अस्त्र से एक बार में ही समाप्त हो सकता था युद्ध, ये 4 शस्त्र भी थे बहुत शक्तिशाली
महाभारत ग्रंथ में कौरवों और पांडवों के बीच हुए संघर्ष का वर्णन मिलता है। साथ ही यह युद्ध सबसे भीषण युद्धों में से भी एक माना गया है। आज हम आपको महाभारत युद्ध (Mahabharat Katha In hindi) में इस्तेमाल हुए कुछ शक्तिशाली अस्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं।

महाभारत युद्ध के दिव्य अस्त्र-शस्त्र। (Picture Credit: Freepik) (AI Image)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम आपको महाभारत के युद्ध में इस्तेमाल हुए ऐसे शक्तिशाली अस्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके आगे टिक पाना, बड़े-से-बड़े योद्धा के बस के बाहर था।कुछ अस्त्र ऐसे भी थे, जिनके इस्तेमाल से पूरे युद्ध को एक बार में ही समाप्त किया जा सकता था। चलिए जानते हैं इस बारे में।
केवल अर्जुन के पास था यह अस्त्र
भगवान शिव का पाशुपतास्त्र पूरी दुनिया का विनाश कर सकता था। महाभारत के युद्ध में केवल अर्जुन के पास ही यह अस्त्र था, जो उसने कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव से प्राप्त किया था। लेकिन प्रलय की आशंका के चलते अर्जुन ने इसका प्रयोग युद्ध भूमि में नहीं किया।

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अन्य शक्तिशाली अस्त्र -
1. ब्रह्मास्त्र - यह ब्रह्मा का सबसे घातक अस्त्र था, जिसका उपयोग महाभारत की युद्ध भूमि में किया गया था। एक ब्रह्मास्त्र को केवल दूसरा ब्रह्मास्त्र ही काट सकता था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन, कर्ण, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, अश्वत्थामा और द्रोणाचार्य के पास इसे चलाने की शक्ति थी।
2. नारायणास्त्र - यह शस्त्र भगवान विष्णु का एक अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र था, जो लगातार लाखों घातक प्रक्षेपास्त्रों की बौछार करता था। इस, अस्त्र को चलाने के बाद कोई दूसरा शस्त्र इसे काट नहीं सकता था। इससे बचाव का एकमात्र उपाय यह था कि इसके सामने पूरी तरह से समर्पण कर दिया जाए। महाभारत के युद्ध में इसका उपयोग अश्वत्थामा द्वारा अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों की सेना पर किया गया था, जिससे हजारों सैनिक मारे गए।
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(Picture Credit: Canva) (AI Image)
3. आग्नेय अस्त्र - यह मंत्र शक्ति से बना एक बाण था, जो अपने लक्ष्य को जलाकर राख कर देता था। इसे केवल पर्जन्य अस्त्र से ही काटा जा सकता था, जो पानी की बरसात कर सकता था। महाभारत के युद्ध में यह अस्त्र अर्जुन के पास था, जो उसे गुरु द्रोणाचार्य से प्राप्त हुआ था।
4. वासवी शक्ति - यह इंद्र का अमोघ अस्त्र था, जो कभी भी विफल नहीं हो सकता था। कर्ण ने इस अस्त्र को अर्जुन के लिए संभाल कर रखा था, लेकिन उसे इस अस्त्र का इस्तेमाल घटोत्कच को मारने के लिए करना पड़ा। इस अस्त्र की एक खास बात यह भी थी, कि इसे केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता था।
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