Mahabharat: कोई बना नर्तक, तो किसी ने लिया दासी का रूप, पांडवों को अज्ञातवास में करने पड़े ये काम
महाभारत (Mahabharat Agyatvas Katha) युद्ध इतिहास का इतना भीषण युद्ध थी कि इसमें हुए विनाश की कल्पना भी नहीं की जा सकती। युद्ध से पहले पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल के अज्ञातवास का भी सामना करना पड़ा था। इस स्थिति में उन्हें वैभवशाली जीवन छोड़कर वन में भटकना पड़ा और दास-दासियों जैसे कार्य भी करने पड़े।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पांडवों और कौरवों के बीच खेला गया चौसर का खेल, महाभारत (Mahabharat Katha) की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है, जो कहीं-न-कहीं महाभारत युद्ध का कारण भी रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अज्ञातवास क्या होता है और यह समय पांडवों व द्रौपदी ने किस तरह गुजारा।
क्या होता है अज्ञातवास
महाभारत में प्रचलित अज्ञातवास शब्द का अर्थ है किसी अनजान जगह पर बिना किसी की नजर में आए रहना। पांडवों को चौसर के खेल में हारने के बाद 12 साल का वनवास और एक साल अज्ञातवास मिला था। इस दौरान उनके आगे यह शर्त भी रखी गई थी कि यदि अज्ञातवास में उन्हें ढूंढ लिया जाता है, तो उन्हें एक साल दोबारा अज्ञातवास में रहना होगा। हालांकि सभी ने बिना किसी की नजर में आए अपना अज्ञातवास पूरा कर लिया।
पांडवों ने कैसे बिताया यह समय
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
12 साल का वनवास समाप्त करने के बाद पांडव विराट नगरी में चले गए, जो वर्तमान में नेपाल का विराटनगर है। इस दौरान उन्होंने राजा विराट के महल में अलग-अलग जिम्मेदारी निभाई, जो इस प्रकार है -
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- युधिष्ठिर - धर्मराज युधिष्ठिर अज्ञातवास के दौरान कनक नाम के एक ब्राह्मण बन गए और सभापति के तौर पर काम किया। साथ ही वह राजा के साथ चौसर का खेल भी खेलते थे।
- भीम - भीम ने एक रसोइए का काम किया और इस दौरान उन्हें वल्लभ नाम से जाना गया।
- अर्जुन - अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने एक किन्नर, बृहन्नला का वेश धारण किया। इस रूप में वह एक नृत्य शिक्षक बन गए और राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाने लगे।
- नकुल - नकुल ने अज्ञातवास में ग्राथिक नाम धारण किया और इस दौरान मत्स्य राजा के अस्तबल में काम किया करने लगे।
- सहदेव - अज्ञातवास के दौरान सहदेव तंतिपाल नाम से जाने गए और गो-सांघिक बन गए अर्थात गायों की देखभाल करने लगे।
- द्रौपदी - द्रौपदी ने अज्ञातवास में सैरंध्री नाम की दासी का काम किया, जो राजा विराट की पत्नी सुदेष्णा के केश सवारने का काम किया करती थी।
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