Mahabharat Katha : भीम को कैसे प्राप्त हुआ 10 हज़ार हाथियों का बल? जानिये महाभारत का यह रहस्य
बेहोशी के हालात में भीम बहते-बहते नागलोक चले गए। जहां पर सांपों ने उन्हें खूब डंसा जिसके वजह से खाने में मिले विष का असर कम हो गया। इसके बाद भीम की मूर्छा टूट गई और आस-पास सांपों देखकर घबरा गए।

Mahabharat Katha : महाभारत के युद्ध में एक से बढ़कर एक योद्धा शामिल थे। इन सभी के पास अपरंपार बल था। ऐसे ही एक योद्धा कुंती पुत्र भीम थे। कहा जाता है कि उनके अंदर 10 हज़ार हाथियों का बल है। पंरतु क्या आप जानते हैं कि भीम के पास इतनी शक्ति कहां से प्राप्त हुई? आज हम इस रहस्य के बारे में जानेंगे।
एक बार दुर्योधन ने गंगा के किनारे मनोरंजन के लिए एक उत्सव किया, जिसमें खाने-पीने से लेकर खेलने- कूदने की व्यवस्था की गई थी। इस उत्सव में दुर्योधन ने पांडवों को भी शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा। इस खेल में पांडव भी शामिल हुए। एक दिन मौका पाकर दुर्योधन और दुःशासन ने भीम के खाने में जहर मिला दिया। खाने के बाद जब भीम बेहोश गए, तो दुर्योधन और दुःशासन ने उन्हें गंगा में फेंक दिया।
बेहोशी के हालात में भीम बहते-बहते नागलोक चले गए। जहां पर सांपों ने उन्हें खूब डंसा, जिसके वजह से खाने में मिले विष का असर कम हो गया। इसके बाद भीम की मूर्छा टूट गई और आस-पास सांपों को देखकर घबरा गए। उन्होंने सांपों को मारना शुरू कर दिया। भीम से डरकर सभी सांप अपने राजा नागराज वासुकि के पास मदद के लिए गए।
सांपों की बात सुनकर नागराज ने खुद आर्यक नाग के साथ भीम के पास गए। आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे, जिनको भीम ने पहचान लिया। वे भीम को लेकर राजमहल गए। आर्यक नाग ने नागों के देवता वासुकि से भीम के लिए कुण्डों का रस पीने की अनुमति मांगी, जिसमें हजार हाथियों का बल है। नाग वासुकि की आज्ञा के बाद भीम ने आठ कुण्डों का रस पीकर सो गए। जब वो सोकर जागे, तो उनको 10 हजार हाथियों का बल प्राप्त हो चुका था।
नागलोक से वापस आकर भीम ने माता कुंती और पांडव को दुर्योधन और दुःशासन के षडयंत्र के बारे में बताया।
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