Mahashivratri 2026: नए साल में कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, क्या रहेगा पूजा का सबसे उत्तम समय?
हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2026) मनाई जाती है। इस दिन साधक भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त ...और पढ़ें

Mahashivratri 2026 date (AI Generated Image)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाशिवरात्रि के पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि को भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि माना गया है। इस दिन पर शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करना काफी फलदायक माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन (Mahashivratri 2026 Date) पूजा का मुहूर्त क्या रहने वाला है।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त (Mahashivratri Puja Muhurat)
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी 2026 को शाम 5 बजकर 4 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 16 फरवरी को साम 5 बजकर 34 मिनट पर होगा। शिवरात्रि की पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है। इस प्रकार महाशिवरात्रि रविवार, 15 फरवरी 2026 को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि के दिन पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
- महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त - रात 12 बजकर 9 मिनट से देर रात 1 बजकर 1 मिनट तक
- शिवरात्रि पारण समय - 16 फरवरी सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक
महाशिवरात्रि के दिन रात के चारों प्रहर भगवान शिव की पूजा के लिए ये मुहूर्त बन रहे हैं -
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 6 बजकर 11 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 9 बजकर 23 मिनट से देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक (16 फरवरी)
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - देर रात 12 बजकर 35 मिनट से प्रातः 3 बजकर 47 मिनट तक (16 फरवरी)
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रातः 3 बजकर 47 मिनट से सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक (16 फरवरी)
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में मुख्य व्रत-त्योहारों में से एक है। इस दिन पर साधक पूरे दिन व्रत करते हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। यह व्रत स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा रखा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसी के साथ यह भी मान्यता है इस व्रत को करे से साधक को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हो सकती है।

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
मिलता है पूर्ण फल
शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि पर कुछ भक्त केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। शिवरात्रि के दिन भक्त सन्ध्याकाल में पुनः स्नान आदि के बाद शुभ मुहूर्त में शिव भगवान की आराधना करते हैं। अगले दिन महाशिवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है। ऐसा करने से साधक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
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