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    Maha Kumbh 2025: महाकुंभ से लाए हुए पवित्र गंगाजल का क्या करें?

    Updated: Tue, 14 Jan 2025 01:36 PM (IST)

    हिंदू धर्म में महाकुंभ मेले का विशेष महत्व है। इस बार इसकी शुरुआत 13 जनवरी से हुई है। यह मेला हर 12 सालों में एक बार लगता है। वहीं इस दौरान (Maha Kumbh Shahi Snan 2025) विभिन्न पूजन नियमों का पालन किया जाता है। साथ ही लोग त्रिवेणी तट पर डुबकी लगाने के लिए जाते हैं जिससे सभी पापों का नाश हो जाता है।

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    Maha Kumbh 2025: गंगाजल का धार्मिक महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले का शुभारंभ हो चुका है। इस बार इसकी शुरुआत 13 जनवरी पौष पूर्णिमा के दिन हुई है। वहीं, इसका (Maha Kumbh 2025) समापन 26 फरवरी, 2025 को होगा। इस पावन मेले में लोग गंगा स्नान समेत कई पूजा अनुष्ठान करते हैं। इसके साथ ही कुछ लोग त्रिवेणी तट से गंगाजल भी लेकर आते हैं, जिसकी अपनी महिमा है। कहते हैं इस पवित्र जल को घर पर रखने से सुख-शांति (Ganga Jal Importance) बढ़ती है। साथ ही घर में शुभता आती है, लेकिन यह कहां पर रखना शुभ माना जाता है आइए यहां पर जानते हैं।

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    त्रिवेणी से लाए हुए गंगाजल को कहां रखें? (Where To Keep Ganga Water?)

    • त्रिवेणी से लाए हुए गंगाजल को अपने घर की उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
    • इस पवित्र जल को पूरे घर में छिड़कें।
    • इस गंगाजल को अपने पूजा घर में जरूर रखें।
    • जल में मिलाकर स्नान करें।
    • जिस जगह पर गंगाजल रखें उसे पूरी तरह साफ-सुथरा रखें।
    • गंगाजल किसी पवित्र पात्र में ही रखें।

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    शाही स्नान तिथि और समय (Shahi Snan 2025 Date Or Time )

    आपको बता दें कि महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होते हैं, जिसमें पहला स्नान पौष पूर्णिमा यानी बीते दिन 13 जनवरी को हो चुका है। वहीं, दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति यानी आज हो रहा है। इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन तीसरा और 02 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन चौथा शाही स्नान किया जाएगा। इसके अलावा आखिर के दो शाही स्नान 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन आयोजित होंगे। माना जाता है कि शाही स्नान में भाग लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

    पूजा मंत्र

    • ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
    • गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि। मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।।
    • गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।