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    Mahakumbh 2025: नागा साधु बनने के लिए देनी पड़ती है कठिन परीक्षा, क्या हैं इसके नियम

    नए साल में जल्द ही महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। इस बार महाकुंभ प्रयागराज में लग रहा है। इस मेले का आयोजन 12 साल पर ही किया जाता है। महाकुंभ में अधिक संख्या में साधु संत और श्रद्धालु शामिल होते हैं। वहीं नागा साधु भी देखने को मिलते हैं। नागा साधु ( Maha kumbh 2025) बनने के लिए कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 23 Dec 2024 01:26 PM (IST)
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    Naga Sadhu: नागा साधु बनने की प्रक्रिया

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Naga Sadhu Kaise Bante hai: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ (Maha kumbh 2025) की शुरुआत होने जा रही है। वहीं, इसका समापन 26 फरवरी को होगा। इस आयोजन सभी अखाड़ों के साधु संत शामिल होते हैं। वहीं, नागा साधु भी अधिक संख्या में महाकुंभ में स्नान करते हैं। क्या आपको पता है कि नागा साधु (Naga Sadhus process) कैसे बनते हैं? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इससे जुड़े नियम (Naga Sadhu Niyam) के बारे में।

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    इस तरह बनते हैं नागा साधु

    व्यक्ति नागा साधु बनने के लिए अखाड़े के सामने इच्छा जाहिर करता है। इसके बाद अखाड़ा समिति उसके बारे में जानकरी प्राप्त करती है कि क्या वह व्यक्ति नागा साधु बनने के योग्य है या नहीं? व्यक्ति के जीवन से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद उसे अखाड़ा समिति में शामिल कर लिया जाता है।

    यह भी पढ़ें: Mahakumbh 2025: महाकुंभ में अखाड़ा क्या होता है, किसने दिया इसका नाम?

    ऐसा बताया जाता है कि नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को कई तरह की कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करना पड़ता है। इस परीक्षा को पूरी करने के बाद पंच देव से दीक्षा प्राप्त करनी होती है। 5 गुरु (शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश) को पंच देव भी कहा जाता है।

    इसके अलावा इंसान को सांसारिक जीवन का त्याग का करना पड़ता है। नागा साधु के जीवन में प्रवेश करने के दौरान खुद का पिंडदान करते हैं और भिक्षा में प्राप्त हुआ भोजन का सेवन करना पड़ता है। अगर साधु को किसी दिन भिक्षा में भोजन नहीं मिलता है, तो उसे बिना खाने के ही रहना पड़ता है।

    नागा साधु बनने के बाद जीवन में कभी भी वस्त्र धारण नहीं करते हैं। क्योंकि वस्त्र को सांसारिक जीवन और आडंबर का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से वह अपने शरीर को ढकने के लिए भस्म का इस्तेमाल करते हैं।

    इसके अलावा नागा साधु कभी भी किसी के सामने सिर नहीं झुकाते हैं और न ही किसी की निंदा करते हैं। नागा साधु बड़े सन्यासियों के सामने सिर झुकाते हैं। ऊपर बताए गए सभी नियम का पालन करने के बाद इंसान नागा साधु कहलाता है।

    कब-कब है शाही स्नान

    14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति

    29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या

    3 फरवरी 2025 - बसंत पंचमी

    12 फरवरी 2025 - माघी पूर्णिमा

    26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि

    यह भी पढ़ें: Mahakumbh 2025 Shahi Snan Date: कब है महाकुंभ का पहला शाही स्नान, क्या है शुभ मुहूर्त?

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'