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    Magh Purnima 2024: घर में इस विधि से करें माघ पूर्णिमा की पूजा, नोट करें सही तिथि

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Fri, 16 Feb 2024 02:25 PM (IST)

    माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2024) को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन देवी लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का खास महत्व है। इस बार माघ पूर्णिमा 24 फरवरी को मनाई जाएगी। तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ नियमों को जानते हैं।

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    Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Purnima 2024: पूर्णिमा तिथि शास्त्रों में बहुत शुभ मानी गई है। इस व्रत को करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के लिए भी विशेष माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का खास महत्व है। इस बार माघ पूर्णिमा 24 फरवरी, 2024 को मनाई जाएगी। तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

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    माघ पूर्णिमा पूजा विधि

    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
    • स्नान करने के बाद भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
    • अपने घर व पूजा कक्ष को अच्छी तरह से साफ करें।
    • सारा दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और उनका ध्यान करें।
    • पंचामृत से विष्णु जी का अभिषेक करें।
    • गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।
    • धनिया पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं।
    • प्रसाद में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
    • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें।
    • अंत में प्रसाद वितरण करें।

    माघ मास के बारे में

    माघ सबसे पवित्र महीनों में से एक है, क्योंकि इस महीने की शुरुआत में सूर्य अपने उत्तरी पथ पर अस्त होते हैं। वहीं माघ पूर्णिमा माघ महीने का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इसे पवित्र स्नान करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। यह वही दिन है जब लोग कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान कर माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं।

    माता लक्ष्मी मंत्र

    • महामंत्र एक: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
    • श्री लक्ष्मी मंत्र: ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम: ममा लक्ष्मी, नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरु-कुरु सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:
    • महामंत्र दो: ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

    भगवान विष्णु मंत्र

    • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
    • ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
    • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।