Magh month 2025 Date: कब से शुरू हो रहा है माघ माह, यहां पढ़ें क्या करें और क्या न करें?
सनातन धर्म में सभी माह का विशेष महत्व है। इसी तरह माघ माह को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि उपासना करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कब (Magh month 2025 Date) से शुरू हो रहा है माघ माह।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में माघ माह को अधिक पवित्र माना जाता है। इस शुभ महीने में स्नान, दान, व्रत और तप करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माघ माह में विधिपूवर्क श्रीहरि और मां लक्ष्मी के संग मां तुलसी की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस माह के नियम का पालन न करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में माघ माह से जुड़े नियम का पालन करना अधिक आवश्यक होता है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे माघ माह कब से शुरू हो रहा है और इससे जुड़े नियम के बारे में
कब से शुरू है माघ माह (Magh Month 2025 Strat Date and end Date)
पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन से होती है। माघ माह का प्रारंभ 14 जनवरी (Kab Se Hai Magh Month 2025) से होगा। वहीं, इसका समापन अगले महीने यानी 12 फरवरी को होगा।
माघ माह में क्या करें (What to do in the month of Magh)
- माघ माह में रोजाना भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना करनी चाहिए।
- विशेष चीजों का दान जरूर करना चाहिए।
- पूजा के दौरान सच्चे मन से गीता का पाठ करें।
- शुभ तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करें। ऐसा करने से पापों से छुटकारा मिलता है।
- रोजाना मां तुलसी की पूजा करनी चाहिए।
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माघ माह में क्या न करें (What not to do in the month of Magh)
- माघ माह में तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा किसी से बातचीत के दौरान गलत भाषा का प्रयोग न करें।
- बड़े-बुर्जुग और महिलाओं का अपमान न करें।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- घर और परिवार में किसी बात को लेकर वाद-विवाद न करें।
माघ माह में पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप
1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
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