Magh Mela 2026: कितने दिनों तक चलेगा माघ मेला, क्या रहेंगी शाही स्नान की तिथियां?
माघ मेला 44 दिनों तक चलने वाला एक आध्यात्मिक आयोजन है, जो हर साल प्रयागराज के त्रिवेणी संगम (तीन महान नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम) पर आयोजि ...और पढ़ें

Magh Mela 2026 Snan Dates (AI Generated Image)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होने वाले माघ मेले (Magh Mela 2026) को धार्मिक दृष्टि से एक बहुत ही पवित्र आयोजन माना जाता है। माना जाता है कि संगम में स्नान करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मोक्ष का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसे में संगम स्नान का लाभ उठाने के लिए लाखों भक्तों व साधु-संतों की भीड़ यहां एकत्रित होती है।
प्रमुख तिथियां (Prayagraj snan dates)
इस साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा यानी 3 जनवरी से होने जा रही है। यह भव्य आयोजन (Magh Mela duration) 15 फरवरी 2026, महाशिवरात्रि तक जारी रहने वाला है। इस दौरान स्नान की प्रमुख तिथियां कुछ इस प्रकार रहने वाली हैं -
- 3 जनवरी 2026 - पौष पूर्णिमा, मेला और कल्पवास की शुरुआत
- 14 जनवरी 2026 - मकर संक्रांति, दूसरा प्रमुख शाही स्नान
- 18 जनवरी: मौनी अमावस्या, तीसरा प्रमुख स्नान
- 23 जनवरी: वसंत पंचमी, चौथा मुख्य स्नान
- 1 फरवरी: माघी पूर्णिमा, पांचवां प्रमुख स्नान (कल्पवासियों का मुख्य स्नान)
- 15 फरवरी: महाशिवरात्रि, मेले का समापन व अंतिम स्नान
माघ मेले का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए किए गए समुद्र मंथन हुआ, तो उस दौरान अमृत की चार बूंदे चार अलग-अलग स्थानों: हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में गिरी गईं। आज इन्हीं स्थानों पर प्रत्येक 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है। वहीं प्रयागराज में माघ मेला प्रतिवर्ष लगता है।
ऐसी मान्यता है कि माघ मेले के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण, हर साल लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन में भाग लेने पहुंचते हैं।
-1764739008919.jpg)
क्या होता है कल्पवास
माघ मेले का सबसे महत्वपूर्ण भाग है कल्पवास। इस दौरान कल्पवासी पूरे एक महीने संगम तट पर साधारण टेंटों या झोपड़ियों में रहते हैं। इस अवधि में वह आत्मशुद्धि के लिए तपस्या और साधना करते हैं। कल्पवासी रोजाना गंगा स्नान करते हैं। साथ ही मंत्र जाप, कीर्तन, प्रवचन और साधना में लीन रहना भी उनकी दिनचर्या का प्रमुख हिस्सा है। कल्पवास एक तरीके से सांसारिक भोगों से दूर रहकर आध्यात्मिक जीवन का अभ्यास करना है।
यह भी पढ़ें - Paush Month 2025: शुरू होने वाला है पौष माह, गलती से भी न करें ये गलतियां
यह भी पढ़ें - Paush Month 2025: एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक, यहां पढ़ें पौष माह के व्रत-त्योहारों की लिस्ट
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।