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    Magh Gupt Navratri 2025: कब से शुरू है माघ गुप्त नवरात्र? नोट करें कलश स्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

    माघ गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा होती है। यह दिन (Gupt Navratri 2025) देवी भक्तों के लिए बहुत खास होता है। वहीं इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दौरान माता रानी की विधिवत पूजा करते हैं उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन सुखी रहता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Wed, 15 Jan 2025 12:12 PM (IST)
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    Magh Gupt Navratri 2025: नवरात्र का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्र का व्रत बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन इसके बारे में जानकारी बेहद कम लोगों को होती है, जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, वे नौ दिनों और नौ रातों तक कठिन उपवास रखते हैं और समर्पण भाव के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। जानकारी के लिए बता दें, नवरात्र एक साल में चार बार आती है - चैत्र और शारदीय नवरात्र। बाकी दो माघ और आषाढ़ के दौरान आती हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्र के रूप में जाना जाता है।

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    इस साल माघ महीने के गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जनवरी, 2025 को होगा, तो आइए इस दिन (Magh Gupt Navratri 2025 Date) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

    माघ गुप्त नवरात्र 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Magh Gupt Navratri 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि 29 जनवरी, 2025 को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 जनवरी को शाम 4 बजकर 1 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए माघ गुप्त नवरात्र 30 जनवरी, 2025 दिन गुरुवार से शुरू होगी।

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    घट स्थापना मुहूर्त (Kalash Sthapana Muhurat)

    30 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्र की कलश स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

    माघ गुप्त नवरात्र पूजा विधि (Magh Gupt Navratri 2025 Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
    • पूजा घर की अच्छी तरह से सफाई करें।
    • एक वेदी लें और उस पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें।
    • कलश स्थापना मुहूर्त के अनुसार करें।
    • देसी घी का दीपक जलाएं और गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें।
    • सिंदूर अर्पित करें।
    • पंचामृत, नारियल चुनरी, फल मिठाई आदि का भोग लगाएं।
    • पूजा का समापन आरती से करें।
    • इस पवित्र अवधि में तामसिक भोजन से दूर रहें।
    • अंत में माता रानी से क्षमा मांगे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।