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    Maa Laxmi Mantra: वैभव लक्ष्मी व्रत पर करें इन मंत्रों का जप, पैसों की तंगी होगी दूर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 23 Jan 2025 02:25 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि (Maa Laxmi Mantra) पर वृद्धि एवं सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा। इस शुभ अवसर पर वैभव लक्ष्मी का व्रत भी रखा जाएगा।

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    Maa Laxmi Mantra: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Laxmi Mantra: वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 24 जनवरी को वैभव लक्ष्मी व्रत है। यह व्रत मां लक्ष्मी के निमित्त रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इस शुभ अवसर पर साधक स्नान-ध्यान के बाद विधिवत मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी का स्वभाव बेहद चंचल है। एक स्थान पर अधिक समय तक मां लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं। इसके लिए ज्योतिष नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। वहीं ,पूजा का समापन महालक्ष्मी आरती से करें।

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    मां लक्ष्मी के मंत्र

    1. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

    2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

    3. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

    धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

    4. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

    5. मां लक्ष्मी ध्यान

    सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,

    कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।

    हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,

    आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥

    भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,

    रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।

    नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,

    पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥

    वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,

    हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।

    भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,

    पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥

    मां लक्ष्मी की आरती

    ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।

    सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।

    जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।

    सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।

    खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।

    रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

    महालक्ष्मीजी की आरती,जो कोई जन गाता।

    उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।