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    Chaitra Navratri 2025: इन आरती के बिना अधूरा है चैत्र नवरात्र का पहला दिन, जरूर करें इनका पाठ

    Updated: Sun, 30 Mar 2025 08:24 AM (IST)

    चैत्र नवरात्र देवी दुर्गा को समर्पित है। इस नौ दिवसीय पर्व का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) 30 मार्च यानी आज से शुरू हो रहे हैं तो चलिए मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देवी की भव्य आरती करते हैं।

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    Chaitra Navratri 2025: मां दुर्गा की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का पर्व देवी भक्तों के लिए बहुत खास होता है। यह नौ दिवसीय व्रत मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों को समर्पित है, जिनका अपना-अपना महत्व है। कहा जाता है कि इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही सभी कष्टों का नाश होता है। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) 30 मार्च यानी आज से शुरू हो रहे हैं।

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    आज नवरात्र का प्रथन दिन है। ऐसे में मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए आइए मां की भव्य आरती करते हैं, जो इस प्रकार हैं।

    ।।मां दुर्गा की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    ।।मां शैलपुत्री आरती।।

    शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

    शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी

    पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

    ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

    सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

    उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

    घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

    श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

    जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

    मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।