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    Ram Mantra: मंगलवार के दिन करें भगवान श्रीराम के नामों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 17 Mar 2025 02:40 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि राम से बड़ा राम का नाम (Ram Mantra) है। अतः मंगलवार के दिन पूजा के समय रामजी के नामों का जप करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर साधक राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करते हैं। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।

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    Ram Mantra: भगवान श्रीराम को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं।

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    मंगलवार के दिन मंदिरों में हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही सुंदर कांड पाठ का आयोजन भी किया जाता है। मंगलवार के दिन रामजी की पूजा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। अगर आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन भक्ति भाव से राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय राम जी के नामों का मंत्र जप करें।

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    भगवान श्रीराम के 108 नाम

    1. ॐ परस्मै ब्रह्मने नम:

    2. ॐ सर्वदेवात्मकाय नमः

    3. ॐ परमात्मने नम:

    4. ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:

    5. ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:

    6. ॐ जरामरनवर्जिताया नम:

    7. ॐ यज्वने नम:

    8. ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम:

    9. ॐ धनुर्धराया नम:

    10. ॐ पितवाससे नम:

    11. ॐ शुउराया नम:

    12. ॐ सुंदराया नम:

    13. ॐ हरये नम:

    14. ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम:

    15. ॐ जितवाराशये नम:

    16. ॐ राम सेतुक्रूते नम:

    17. ॐ महादेवादिपुउजिताया नम:

    18. ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम:

    19. ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम:

    20. ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम:

    21. ॐ राघवाया नम:

    22. ॐ पुउर्वभाश्हिने नम:

    23. ॐ मितभाश्हिने नम:

    24. ॐ स्मितवक्त्राया नम:

    25. ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम:

    26. ॐ अयासाराया नम:

    27. ॐ पुंयोदयाया नम:

    28. ॐ महापुरुष्हाय नम:

    29. ॐ परमपुरुष्हाय नम:

    30. ॐ आदिपुरुष्हाय नम:

    31. ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम:

    32. ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम:

    33. ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम:

    34. ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम:

    35. ॐ पाराया नम:

    36. ॐ पारगाया नम:

    37. ॐ परेशाया नम:

    38. ॐ परात्पराया नम:

    39. ॐ पराकाशाया नम:

    40. ॐ परस्मै धाम्ने नम:

    41. ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम:

    42.ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम:

    43. ॐ महोदराया नम:

    44. ॐ महा योगिने नम:

    45. ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम:

    46. ॐ ब्रह्मंयाया नम:

    47. ॐ सौम्याय नम:

    48. ॐ सर्वदेवस्तुताय नम:

    49. ॐ महाभुजाय नम:

    50. ॐ महादेवाय नम:

    51. ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम:

    52. ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम:

    53. ॐ सर्वदेवादि देवाय नम:

    54. ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम:

    55. ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम:

    56. ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम:

    57. ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम:

    58. ॐ राम जगद्गुरवे नम:

    59. ॐ राम जितामित्राय नम:

    60. ॐ राम जितक्रोधाय नम:

    61. ॐ राम जितेंद्रियाया नम:

    62. ॐ वरप्रदाय नम:

    63. ॐ पित्रै भक्ताया नम:

    64. ॐ अहल्या शाप शमनाय नम:

    65. ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम:

    66. ॐ धंविने नम:

    67. ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम:

    68. ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नमः

    69. ॐ त्रिलोकात्मने नमः

    70. ॐ त्रिविक्रमाय नमः

    71. ॐ वेदांतसाराय नमः

    72. ॐ तातकांतकाय नमः

    73. ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नमः

    74. ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नमः

    75. ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नमः

    76. ॐ हरकोदांद खान्दनाय नमः

    77. ॐ विभीषना परित्रात्रे नमः

    78. ॐ विराधवाधपन दिताया नमः

    79. ॐ खरध्वा.सिने नमः

    80. ॐ कौसलेयाय नमः

    81. ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः

    82. ॐ व्रतधाराय नमः

    83. ॐ सत्यव्रताय नमः

    84. ॐ सत्यविक्रमाय नमः

    85. ॐ सत्यवाचे नमः

    86. ॐ वाग्मिने नमः

    87. ॐ वालिप्रमाथानाया नमः

    88. ॐ शरणात्राण तत्पराया नमः

    89. ॐ दांताय नमः

    90. ॐ विश्वमित्रप्रियाय नमः

    91. ॐ जनार्दनाय नमः

    92. ॐ जितामित्राय नमः

    93. ॐ जैत्राय नमः

    94. ॐ जानकिइवल्लभाय नमः

    95. ॐ रघुपुंगवाय नमः

    96. ॐ त्रिगुनात्मकाया नमः

    97. ॐ त्रिमुर्तये नमः

    98. ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नमः

    99. ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नमः

    100. ॐ वेदात्मने नमः

    101. ॐ राजीवलोचनाय नमः

    102. ॐ राम शाश्वताया नमः

    103 ॐ राम चंद्राय नमः

    104. ॐ राम भद्राया नमः

    105. ॐ राम रामाय नमः

    106. ॐ सर्वदेवस्तुत नमः

    107. ॐ महाभाग नमः

    108. ॐ मायामारीचहन्ता नमः

    श्री रामचंद्र जी की आरती

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।

    नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्।

    पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।

    रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।

    आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

    मम ह्रदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।

    करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

    एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।

    तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

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