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    Guru Pradosh Vrat 2025: कब है चैत्र महीने का पहला प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    प्रदोष व्रत का फल (Guru Pradosh Vrat 2025 Date) दिन अनुसार मिलता है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाएगा। भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 17 Mar 2025 02:12 PM (IST)
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    Guru Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में चैत्र महीना का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस महीने में जगत जननी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही चैत्र नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होता है। आइए, चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 27 मार्च को देर रात 01 बजकर 42 मिनट पर होगी। वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन 27 मार्च को देर रात 11 बजकर 03 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा प्रदोष काल में होती है। इसके लिए 27 मार्च को चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। 27 मार्च को प्रदोष काल शाम 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा एवं अर्चना की जाएगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं।

    शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत पर साध्य और शुभ योग का संयोग बन रहा है। साथ ही शतभिषा नक्षत्र का संयोग है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से भी मुक्ति मिलेगी। शिव-शक्ति की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 58 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।