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    Sankashti Chaturthi 2024: इस दिन मनाई जाएगी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, जानें- शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 15 Jan 2024 06:58 PM (IST)

    Sankashti Chaturthi 2024 माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से उपासक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

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    Sankashti Chaturthi 2024: इस दिन मनाई जाएगी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, जानें- शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sankashti Chaturthi 2024: हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। अतः इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से उपासक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि और आय में वृद्धि होती है। आइए, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को प्रातः काल (सुबह) 06 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से दिन की गणना होती है। अतः 29 जनवरी को लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

    शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 44 मिनट तक है। वहीं, देवों के देव महादेव लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस समय में शिव परिवार की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

    पूजा विधि

    माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त (समापन) होने के बाद गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद पीले रंग का वस्त्र (कपड़े) धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर पीले या लाल रंग बिछाकर शिव परिवार को स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान गणेश एवं शिव परिवार की पूजा करें। भगवान गणेश को पीले रंग का फल, फूल, मोदक, दूर्वा, हल्दी, लड्डू, गुड़ से निर्मित मोदक, मालपुए आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती कर भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन स्नान-ध्यान करें। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा कर व्रत खोलें। इस समय दान-पुण्य अवश्य करें।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'