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    Kumbh Sankranti 2025 Date: माघ महीने में कब और क्यों मनाई जाती है कुंभ संक्रांति?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 07 Jan 2025 04:47 PM (IST)

    सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य देव (Kumbh Sankranti 2025) की पूजा करने से करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष भी मनोवांछित फल पाने के लिए सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। संक्रांति तिथि पर दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

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    Kumbh Sankranti 2025: कुंभ संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। साथ ही सूर्य देव की पूजा की जाती है।

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    संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान एवं पूजा-पाठ के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान किया जाता है। धार्मिक मत है कि सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2025) तिथि का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य देव 12 फरवरी को रात 09 बजकर 56 मिनट पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 13 मार्च तक रहेंगे। इसके अगले दिन 14 मार्च को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इससे पूर्व सूर्य देव 19 फरवरी को शतभिषा और 04 मार्च को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे।

    कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Kumbh Sankranti Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, कुंभ संक्रांति तिथि पर पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है। साधक पुण्य काल के दौरान गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान कर भक्ति भाव से पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करते हैं। कुंभ संक्रांति के दिन महा पुण्य काल 01 घंटे और 51 मिनट का है।

    कुंभ संक्रांति शुभ योग (Kumbh Sankranti Shubh Yog)

    कुंभ संक्रांति पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। वहीं, अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी संयोग है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इस तिथि पर पितरों की भी पूजा (तर्पण) कर सकते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।