Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kumbh Sankranti 2025 Mantra: कुंभ संक्रांति पर करें इन मंत्रों का जप, करियर में मिलेगी सफलता

    बुधवार 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाएंगे। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा एवं उपासना करेंगे। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 11 Feb 2025 09:00 PM (IST)
    Hero Image
    Kumbh Sankranti 2025 Mantra: सूर्य देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kumbh Sankranti 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, 12 फरवरी को कुंभ संक्रांति और माघ पूर्णिमा है। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान और सूर्य देव की उपासना की जाती है। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक मत है कि सूर्य देव की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष भी करियर में सफलता पाने के लिए सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी सूर्य देव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो कुंभ संक्रांति के दिन सुविधा होने पर गंगा स्नान करें। इसके बाद भक्ति भाव से सूर्य देव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

    यह भी पढ़ें: माघ पूर्णिमा पर श्रीहरि को इन भोग से करें प्रसन्न, धन लाभ के बनेंगे योग

    सूर्य मंत्र

    1. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    2. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    3. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    4. सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि:।

    गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर:।।

    पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।

    सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।

    इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर:।

    ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम:।।

    वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति:।

    धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन:।।

    कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय:।

    कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण:।।

    संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु:।

    पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन:।।

    कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद:।

    वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।

    भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत:।

    स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत:।।

    अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख:।

    जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।

    मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक:।

    धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत:।।

    द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह:।

    स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।

    देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख:।

    चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित:।।

    एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस:।

    नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।

    5. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    6. सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम्

    सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।

    गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।

    पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।

    सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।

    इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।

    ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।

    वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।

    धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।

    कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।

    कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।

    संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।

    पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।

    कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।

    वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।

    भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।

    स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।

    अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।

    जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।

    मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।

    धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।

    द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।

    स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।

    देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।

    चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।

    एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।

    नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।

    यह भी पढ़ें: माघ पूर्णिमा पर राशि अनुसार करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।