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    कब और कहां लगेगा अगला Kumbh? जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

    Updated: Sat, 01 Mar 2025 12:52 PM (IST)

    महाकुंभ मेले को हिंदू धर्म में बेहद शुभ और कल्याणकारी माना गया है। इस बार इसका आयोजन 13 जनवरी को हुआ था। वहीं अब अगला कुंभ कब और कहां लगेगा? इसके बारे लोग जानना चाहते हैं तो आइए यहां पर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक कुंभ (kumbh Mela 2025) से जुड़ी कुछ बातें यहां जानते हैं।

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    Kumbh से जुड़ी प्रमुख बातें यहां जानें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को हुआ, जिसमें 66 करोड़ से अधिक भक्तों ने त्रिवेणी तट पर पवित्र डुबकी लगाई। इसके प्रति लोगों में अपार भक्ति और आस्था देखने को मिली। लोगों में अभी भी महाकुंभ के प्रति भक्ति कम नहीं हुई है। वहीं, अब लोग ये जानना चाहते हैं कि अगला कुंभ (Kumbh) कब और कहां लगेगा? तो आइए यहां पर जानते हैं।

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    कब लगेगा अगला कुंभ?

    प्रयागराज के बाद अब अगला कुंभ (Kumbh Location) 2027 में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित किया जाएगा। यह मेला त्र्यंबकेश्वर में लगेगा। इसके बाद 2028 में पूर्ण कुंभ का आयोजन सिंहस्थ, उज्जैन में होगा। इसके साथ 2030 में प्रयागराज में अर्धकुंभ का भव्य आयोजन किया जाएगा।

    बता दें कि 'कुंभ' का मतलब अमृत का कलश, जिसमें (Kumbh Mela 2027 Significance) शामिल होने से लोगों के सभी पाप कट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में इस पवित्र मेले में जरूर जाएं और पवित्र नदियों में डुबकी लगाएं।

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    इन जगहों में लगता है कुंभ

    प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान दुनिया भर से श्रद्धालु शामिल होते हैं और विभिन्न प्रकार के पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं।

    क्यों 12 साल बाद लगता है महाकुंभ?

    प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत पाने के लिए करीब 12 दिनों तक लड़ाई चली थी और देवताओं के 12 दिन मनुष्य के बारह सालों के बराबर होते हैं। इसी वजह से 12 साल बाद महाकुंभ का लगता है, जिसका सनातन धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।