सिर्फ अर्जुन ही नहीं, इन लोगों को भी हुए हैं भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप के दर्शन
सनातन मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को प्रभु श्री हरि का 8वां अवतार माना जाता है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप का तेज बहुत अधिक है और हर व्यक्ति उसका दर्शन करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अब तक किन-किन लोगों को भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, जब रणभूमि में भगवान कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे, तब अर्जुन ने कृष्ण के विराट स्वरूप को देखने की इच्छा व्यक्त की। अर्जुन की इस इच्छा की पूर्ति के लिए भगवान ने उन्हें अपना विश्वरूप के दर्शन कराए। अर्जुन के अलावा भी कुछ ऐसे पात्र हैं, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप के दर्शन हुए हैं। आइए जानते हैं उनके विषय में।
अक्रूर जी को हुए दर्शन
कथा के अनुसार, अक्रूर जी, कंस के कहने पर श्री कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए आए। तब उन्हें ये चिंता सताने लगी कि एक छोटा-सा बालक किस तरह कंस की अत्याचारों का सामना करेगा। रास्ते में जब वह यमुना में स्नान करने गए तो डुबकी लगाते समय उन्हें पानी के अंदर श्री कृष्ण दिखाई दिए। लेकिन जब वह बाहर निकले तो देखा की श्री कृष्ण तो रथ पर बैठे हैं। दोबारा डुबकी लगाने पर भी उनके साथ ऐसा ही हुआ। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने अक्रूर जी को अपने विराट रूप के दर्शन करवाए, जिससे उन्हें यह यकीन हो गया कि यही बालक कंस का अंत कर सकता है।
ऐसे हुए उद्धव को दर्शन
उद्धव जो भगवान श्री कृष्ण के चचेरे भाई माने जाते हैं, उसे अपने ज्ञान का बहुत अधिक अहंकार था। एक बार भगवान कृष्ण ने उन्हें गोपियों को समझाने के लिए वृंदावन भेजा। लेकिन वहां गोपियों ने ही उद्धव को कृष्ण की भक्ति का पाठ पढ़ा दिया। जब वह वापस मथुरा लौटा, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें राधा सहित अपनी विराट रूप के दर्शन करवाए।
शिशुपाल को मृत्यु के दौरान हुए दर्शन
महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, शिशुपाल भगवान कृष्ण से बहुत ईर्ष्या करता था। भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल की माता को वचन दिया था कि वह उसके पुत्र की 100 गलतियों को क्षमा कर देंगे। एक बार शिशुपाल ने भगवान का बहुत अपमान किया, जिस पर भगवान ने उन्हें सचेत भी किया, लेकिन वह नहीं माना। तब 100वीं गलती होने पर भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लेकिन उसकी मृत्यु के दौरान भगवान कृष्ण से उसे अपने वृहद रूप के दर्शन करवाएं।
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धृतराष्ट्र की सभा में धारण किया विराट रूप
जब भगवान श्री कृष्ण कौरवों के पास पांडवों के शांति दूत बनकर गए थे, तब दुर्योधन ने उन्हें बंदी बनाने का प्रयास किया। इसपर भगवान भरी सभा में अपने विश्व रूप में आ गए। भगवान के उस रूप का दर्शन केवल भीष्म पितामह, विदुर और द्रोणाचार्य ही कर पाए। दुर्योधन और शकुनि भगवान श्री कृष्ण के इस रूप से भयभीत हो गए।
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