Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त
सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जगत की देवी राधा रानी का अवतरण हुआ है। इस शुभ अवसर पर राधा रानी और भगवान कृष्ण की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है।
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Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Krishna Janmashtami 2025: सनातन धर्म में भाद्रपद माह का खास महत्व है। इस महीने में गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी और राधा अष्टमी समेत कई प्रमुख व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार मूरली मनोहर कृष्ण कन्हैया की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ है। इसके लिए हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए, कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त (Janmashtami Puja Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को देर रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 16 अगस्त को रात 09 बजकर 34 मिनट पर होगा। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ है।
इसके लिए मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। अतः 15 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। सामान्य जन 15 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वहीं, 16 अगस्त की रात को 12 बजकर 04 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट के मध्य भगवान कृष्ण की पूजा करेंगे। वैष्णवजन 16 अगस्त के दिन व्रत रखेंगे।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुभ योग (Janmashtami Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो कृष्ण जन्माष्टमी पर वृद्धि, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। साथ ही भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन शुभ योग में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कृष्ण जन्मोत्सव के समय देवों के देव भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी मा पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 50 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजे
- चन्द्रोदय- रात 10 बजकर 46 मिनट पर
- चंद्रास्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 07 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजे से 07 बजकर 22 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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