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    Krishna Shashti 2025: कब मनाई जाएगी कृष्ण षष्ठी, जानिए इस दिन क्यों बनते हैं कढ़ी चावल

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 11:30 AM (IST)

    हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसके 6 दिन बार कृष्ण षष्ठी या कृष्ण छठी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पर कढ़ी चावल बनाने का काफी महत्व माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि कृष्ण छठी (krishna chhathi 2025) कब मनाई जाएगी और इस दिन कढ़ी चावल ही क्यों बनाया जाता है।

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    krishna chhathi 2025 कृष्ण षष्ठी पर क्यों बनाए जाते हैं कढ़ी चावल?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद छठी मनाई या पूजी जाती है। इसी प्रकार जन्माष्टमी के पर्व के बाद भगवान श्रीकृष्ण की भी छठी (Krishna Shashti 2025 date) मनाई जाती है। जन्माष्टमी की तरह ही कृष्ण षष्ठी का पर्व भी काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पर लड्डू गोपाल जी की पूजा की जाती है और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं जाते हैं।

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    कब है कृष्ण छठी

    जिन लोगों ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 15 अगस्त को मनाया था, वह लोग भगवान श्रीकृष्ण की छठी 21 अगस्त 2025 को मना सकते हैं। वहीं जिन लोगों ने जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त को किया था। वह कृष्ण छठी 22 अगस्त को मनाएंगे।

    इस दिन क्यों बनता है कढ़ी चावल

    भगवान कृष्ण को मक्खन और दही के साथ-साथ कढ़ी काफी प्रिय मानी गई है। यही कारण है कि कृष्ण षष्ठी पर कढ़ी चावल बनाए जाते हैं। दूसरा कारण यह भी है कि दही और बेसन सात्विक भोजन की श्रेणी में आते हैं और यह भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ सुपाच्य भी है। इन्ही कारणों से कृष्ण षष्ठी पर कढ़ी चावल बनाने की परंपरा चली आ रही है।

    कान्हा जी की पूजा विधि

    सबसे पहले लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं। अब साधारण जल से स्नान करवाने के बाद लड्डू गोपाल को नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद लड्डू गोपाल को नए आभूषण और पगड़ी पहनाएं व बांसुरी अर्पित करें। कान्हा जी को चंदन का तिलक लगाएं।

    लड्डू गोपाल जी की आंखों में काजल लगाएं। यह काजल घर पर ही तैयार करना ज्यादा शुभ माना जाता है। इस दिन मंगल गीत गाए जाते हैं और लड्डू गोपाल को झूला झुलाया जाता है। अंत में कान्हा जी की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।