अकेले चिरंजीवी नहीं हैं हनुमान जी, इन 7 लोगों को भी मिला है अमरता का वरदान
हनुमान जी रामायण से सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं जिन्हें राम जी के प्रति उनकी अटूट भक्ति के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि माता सीता ने हनुमान जी को अजर-अमर रहने का वर दिया। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हनुमान जी के अलावा और किन-किन को अमरता का वरदान प्राप्त है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस बारे में तो लगभग सभी जानते हैं कि हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हनुमान जी के अलावा और कौन-कौन हैं, जिन्हें चिरंजीवी होने अर्थात अमरता का वरदान प्राप्त है। चिरंजीवी से संबंधित एक श्लोक भी मिलता है, जो इस प्रकार है -
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
इस श्लोक में 7 चिनंजीवियों - अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपा और परशुराम के साथ-साथ ऋषि मार्कण्डेय का भी वर्णन किया गया है।
1. वेद व्यास
सत्यवती और ऋषि पराशर के पुत्र महर्षि वेदव्यास भी चिनंजीवियों की सूची में शामिल हैं। इन्होंने महाभारत ग्रंथ और चा वेदों के साथ-साथ और भी कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की है।
2. अश्वत्थामा
अश्वत्थामा को महाभारत काल के एक शक्तिशाली योद्धा और द्रोणाचार्य के पुत्र के रूप में जाना जाता है। अश्वत्थामा को अमरता वरदान के रूप में नहीं बल्कि एक श्राप के रूप में मिली थी।
महाभारत की कथा के अनुसार, पांडवों से अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने के पुत्रों की हत्या कर दी थी। इस कारण भगवान कृष्ण ने उसके माथे पर लगी मणि ले ली और उसे यह श्राप दिया कि दुनिया के अंत वह इसी घाव के साथ पृथ्वी पर भटकता रहेगा।
3. परशुराम
भगवान परशुराम के भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम भी 8 चिंरनजीवियों में से एक हैं। कहा जाता है कि परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। वह भगवान शिव के अनंत भक्त थे और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने ही उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था।
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4. विभीषण
विभीषण रामायण के मुख्य पात्रों में से एक रहे हैं। विभीषण ने अपने भाई रावण का साथ न देकर युद्ध में प्रभु श्रीराम का साथ दिया था। उनकी इसी भक्तिभावना से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम ने उन्हें अमरता का आशीर्वाद दिया था।
5. राजा बलि
प्रह्लाद के पौत्र और एक पराक्रमी दानव राजा बलि भी अष्टचिरंजीवियों में शामिल हैं। उन्हें भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा पाताल में भेज दिया गया था।
6. कृपाचार्य
कृपाचार्य महाभारत ग्रंथ के एक महत्वपूर्ण पात्र रहे हैं, जो उस काल के एक ज्ञानी और पूजनीय गुरु के रूप में जाने जाते हैं। माना जाता है कि उनकी तपस्या और निष्ठा के कारण उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान मिला था।
8. मार्कण्डेय
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श्लोक में 7 चिरंजीवियों के साथ-साथ ऋषि मार्कण्डेय का भी वर्णन मिलता है। मार्कंडेय अल्पायु थे, लेकिन उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और तप किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज से उनके प्राणों की रक्षा की थी और उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान दिया था।
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