Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahakaleshwar Temple: सभी ज्योतिर्लिंगों में अनोखा है महाकालेश्वर, जानिए इससे जुड़ी कथा

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा है जो मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain Mahakal Mandir) में स्थित है। मृत्यु और काल के स्वामी होने के कारण महादेव को महाकाल कहा जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। चलिए जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा और इस मंदिर से जुड़ी अन्य खास बातें।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 23 Aug 2025 11:33 AM (IST)
    Hero Image
    Mahakaleshwar Temple story in hindi जानिए महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की खासियत।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व माना गया है। आज हम आपको इन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी महिमा का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रसिद्धि दुनिभर में फैली हुई है। विशेषकर यहां होने वाली भस्म आरती की, जिसका साक्षी बनने के लिए भक्त दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा शिव पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, उज्जैन, जिसे उस समय में अवंतिका कहा जाता था, के राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे। राजा की तरह ही उनकी प्रजा भी शिव जी की पूजा में लीन रहती थी। एक बार, दूषण नामक एक राक्षस ने उज्जैन नगरी में अपना आतंक फैलाया हुआ था। इससे परेशान होकर राजा ने महादेव आह्वान किया।

    राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने दूषण का वध कर दिया। तब राजा और उनकी प्रजा ने शिव जी से अनुरोध किया कि वह उनकी नगरी में ही वास करें। तब भगवान शिव ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते हुए एक ज्योतिर्लिंग का रूप लिया और उज्जैन में विराजमान हो गए।

    मंदिर की खासियत

    सभी ज्योतिर्लिंगों में से केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही ऐसा है, जो दक्षिणमुखी है। अर्थात इसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है, जो अपने आप में अनोखा है। महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बंटा हुए हैं, जिससे सबसे ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है। बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर मंदिर है और सबसे नीचे महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं।

    मंदिर की तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर की खास बात यह है कि नागचंद्रेश्वर देवता के दर्शन केवल नागपंचमी के दिन ही होते हैं। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, मंदिर के पास एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और रात में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

    यह भी पढ़ें- Somnath Jyotirlinga से कैसे जुड़ा है चंद्रदेव का नाता, जानिए यह अद्भुत कथा

    यह भी पढ़ें- भगवान शिव ने क्यों धारण किया था ज्योति रूप? जानिए मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कथा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।