इन 7 को अमरता का वरदान मिला है, जानें-इनकी गाथा
महादानी राजा बलि ने अपनी कठिन भक्ति से भगवान श्रीहरि विष्णु से अमरता का वरदान प्राप्त किया है। कालांतर से वह पाताल लोक में निवास कर रहे हैं।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। यह धरा मृत्यु भवन है। यहां जो आता है, उसे एक न एक दिन जरूर जाना पड़ता है। इसके बाद उसका जन्म भी निश्चित है। हालांकि, सनातन धर्म में कई ऐसे अवतारी पुरुष हैं, जो अजर-अमर है। ये न कभी वृद्ध होते हैं और न ही इनकी कभी मृत्यु होती है। अगर आपको नहीं पता है कि ये अवतारी पुरुष कौन हैं, तो आइए जानते हैं-
हनुमान जी
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में जब रावण माता सीता को हरण कर लंका ले गया तो उन्हें ढूंढने हनुमान जी लंका पहुंचे। जब उनकी मुलाकात माता सीता से हुई तो उन्होंने माते से प्रभु श्रीराम के संदेश सुनाया। उस समय माता सीता ने उन्हें प्रसन्न होकर अजर अमर होने का वरदान दिया।
अश्वत्थामा
महाकाव्य महाभारत में लिखा है कि पांडवों के पुत्रों की रात में छिप कर वध करने के चलते उन्हें भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु भवन में पापों का प्रायश्चित करने का शाप दिया है।
राजा बलि
महादानी राजा बलि ने अपनी कठिन भक्ति से भगवान श्रीहरि विष्णु से अमरता का वरदान प्राप्त किया है। कालांतर से वह पाताल लोक में निवास कर रहे हैं।
परशुराम
भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम शिव जी के परम भक्त हैं। उनकी कृपा से उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है।
विभीषण
जब रावण वध के बाद मर्यादा पुरषोत्तम राम अयोध्या लौट रहे थे। उस समय उन्होंने विभीषण को लंका का राजा बनाकर उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी विभीषण पृथ्वी लोक में हैं।
वेद व्यास
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और महाभारत जैसे काव्य की रचना करने वाले वेद व्यास को भी अमरता का वरदान प्राप्त है। चिरकाल से वेद व्यास धरा पर घटित होने वाली मुख्य घटनाओं को अपनी रचनाओं में संकलित करते आ रहे हैं।
कृपाचार्य
धार्मिक मान्यता है कि इन्हें भी अजर अमर होने का वरदान प्राप्त है। कृपाचार्य महान विद्वान, प्रकांड पंडित और तपस्वी रहे हैं।