जानिए किस तरह जीवन पर पड़ता है ग्रह और नक्षत्र का प्रभाव?
Grah Nakshtra ग्रह और नक्षत्र को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। सभी ग्रह एक व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं और इनका प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। जानते हैं कैसे पड़ता है ग्रह और नक्षत्र का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Grah Nakshtra: ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, ब्रह्माण्ड में विचरण कर रहे सभी खगोलीय पिंड का प्रभाव प्रकृति, पृथ्वी और यहां रहने वाले सभी जीवों पर अलग-अलग प्रकार से पड़ता है। साथ ही यह भी बताया गया है कि सभी ग्रह एक व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं और इनका प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। इन सभी में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य है, इसके बाद उपग्रह चंद्रमा है। वहीं शुक्र, बुध, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रह भी अहम योगदान देते हैं। इसमें से दो ग्रह अर्थात राहु और केतू को पापी या छाया ग्रह माना जाता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह सभी ग्रह एक अवधि के बाद ग्रह गोचर, वक्री, नक्षत्र परिवर्तन, उदय और अस्त होते हैं। ग्रहों की इन स्थिति का प्रभाव सभी 12 राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। आइए जानते हैं ग्रह गोचर का क्या होता, ग्रहों के उदय और अस्त होने से सभी राशियों पर क्यों प्रभाव पड़ता है?
ग्रह गोचर क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र में गोचर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। गोचर को दूसरी भाषा में राशि परिवर्तन भी कहा जाता है। जब एक ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे ग्रह गोचर या राशि परिवर्तन कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों का वर्णन किया गया है। वे नौ ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। यह सभी ग्रह एक निश्चीत अवधि के बाद राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों के स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, कार्यक्षेत्र आदि पर पड़ता है।
बता दें कि सूर्य एक माह के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। वहीं, चंद्र गोचर करने में सवा दिन लेते हैं। मंगल करीब डेढ़ महीने के बाद राशि परिवर्तन करते हैं, वहीं एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए बुध 14 दिन और देव गुरु बृहस्पति एक साल का समय लेते हैं। शुक्र ग्रह को राशि परिवर्तन में 23 दिन लगता है और शनि देव ग्रह गोचर में सबसे अधिक ढाई साल का समय लेते हैं। छाया ग्रह राहु और केतु राशि परिवर्तन में डेढ़ साल का समय लेते हैं।
ग्रहों का उदय और अस्त क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि सूर्य ग्रहों के राजा है और इनका प्रभाव न केवल राशियों पर लेकिन ग्रहों की स्थिति पर भी पड़ता है। बता दें कि जब कोई ग्रह सूर्य के इतना निकट चला जाता है कि उनके तेज से ग्रह पूर्ण रूप से प्रभावहीन हो जाता है तो ऐसी स्थिति में ग्रह को 'अस्त ग्रह' कहा जाता है। ऐसी स्थिति में ग्रह का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अस्त होने का दोष सूर्य के अलावा सभी ग्रहों पर लगता है। वहीं जब ग्रह सूर्य से निश्चित दूरी बना लेते हैं, तब उन्हें 'उदित ग्रह' या ग्रह उदय कहा जाता है। ग्रहों के उदय होने से शुभ फलों की प्राप्ति पुनः प्रारंभ हो जाती है।
ग्रह वक्री क्या है?
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, अधिकांश समय में सभी ग्रह समान्य दिशा में विचरण करते हैं, लेकिन जब कोई ग्रह अपनी दिशा के विपरीत यानी उल्टी दिशा में गोचर करते हैं तो इस स्थिति को वक्री ग्रह कहा जाता है। बता दें कि सूर्य और चंद्र के बजाय अन्य सभी ग्रह वक्री होते हैं और राहु व केतु हर समय वक्री चाल चलते हैं, जिस वजह से इन्हें छाया ग्रह या पाप ग्रह कहा जाता है। ग्रहों के वक्री होने से सभी राशियों के भविष्यफल में बदलाव होता है।
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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