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    Khatu Shyam Ji Birthday 2022: जानें आखिर कौन है खाटू श्याम जी, भगवान कृष्ण ने दिया था ये वरदान

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Fri, 04 Nov 2022 09:38 AM (IST)

    Baba Shyam Janmotsav पांडवपुत्र भीम के पौत्र है जिन्हें बाद में भगवान श्री कृष्ण ने उनकी शक्ति और क्षमता देखकर कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। जानिए खाटू श्याम जी के बारे में सबकुछ।

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    Khatu Shyam Jayanti 2022: जानें आखिर कौन है खाटू श्याम जी, भगवान कृष्ण ने दिया था ये वरदान

    नई दिल्ली, Khatu Shyam Jayanti 2022: पंचांग के अनुसार, श्री खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन देवउठनी एकादशी भी पड़ती है। आज के दिन श्री खाटू श्याम जी के विधिवत पूजा करने के साथ-साथ विभिन्न तरह के भोग चढ़ाएं जाते हैं। माना जाता है कि श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार है। राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है। माना जाता है कि यहां पर भगवान के दर्शन करने मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। जानिए आखिर कौन है श्री खाटूश्याम जी और भगवान श्री कृष्ण ने क्या दिया था वरदान।

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    कौन है श्री खाटू श्याम जी?

    शास्त्रों के अनुसार, श्री खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। वह पांडु पुत्र भीम के पौत्र थे। श्री खाटू श्याम जी काफी शक्तिशाली थे।

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए एक वन से दूसरे वन घूम रहे थे, तो भीम का सामना हिडिंबा से हुआ। बाद में हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोखा रखा गया। बाद में घटोखा का एक पुत्र हुआ जिसका नाम बर्बरीक रखा गया। यही बर्बरीक आगे चलकर खाटू श्याम कहलाएं।

    भगवान श्री कृष्ण ने दिया था ये वरदान

    श्री खाटूश्याम जी की अपार शक्ति और क्षमता देकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। बर्बरीक अपनी शक्ति और क्षमता से हर किसी पर भारी पड़ जाता था। महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने भी हिस्सा लेने के लिए श्री कृष्ण से कहा। उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा कि वह किसकी तरफ से लड़े, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि जो पक्ष हारेगा वह उनकी तरफ से लड़ेगा। लेकिन श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे। ऐसे में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनके दान की मांग की और उसमें उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने बिना देर किए अपना सिर उन्हें दान कर दिया। लेकिन बर्बरीक ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वो पूरा महाभारत युद्ध देखना चाहते हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने उनके शीश को एक ऊंची पहाड़ी में रख दिया जहां से ह पूरा युद्ध देख पाए। जब पांडव जीत गए तो सब आपस में लड़ने लगे कि आखिर जीत का श्रेय किसे जाए। ऐसे में बर्बरीक ने कहा कि जीत का श्रेय श्रीकृष्ण को जाना चाहिए। बर्बरीक की ये बात सुनकर श्रीकृष्ण काफी खुश हुए और उन्हें कलयुग में खाटू श्याम जी के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।

    Pic Credit- Instagram/khatushyamji_offical

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।