Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kharmas 2025: खरमास के दौरान रोजाना करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव की रोजाना पूजा (Kharmas 2025 Puja Vidhi) करने से साधक को करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा साधक को आरोग्य जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। साधक श्रद्धा भाव से आत्मा के कारक सूर्य देव की साधना करते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 16 Mar 2025 11:00 PM (IST)
    Hero Image
    Kharmas 2025: सूर्य देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में खरमास का खास महत्व है। सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर करने पर खरमास लगता है। खरमास के दौरान गुरु का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए खरमास के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। वर्तमान समय में सूर्य देव मीन राशि में विराजमान हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव 13 अप्रैल तक मीन राशि में विराजमान रहेंगे। वहीं, 14 अप्रैल को सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। इस दिन खरमास समाप्त होगा। खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। अगर आप भी सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो खरमास के दौरान पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। पूजा का समापन आरती से करें।

    यह भी पढ़ें: इन राशियों को कारोबार में होगा दोगुना लाभ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    सूर्य मंत्र

    1. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    2. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    3. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    4. ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।

    विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

    5. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,

    अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    सूर्याष्टकम

    आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

    दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

    सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

    श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

    प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

    एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    सूर्य देव की आरती

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

    षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

    जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

    निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

    करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

    निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

    हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    यह भी पढ़ें: खरमास में रोजाना करें सूर्य देव के नामों का मंत्र जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।