Kharmas 2025: खरमास में इन बातों का जरूर रखें ध्यान, जानें क्या करें और किन कामों से बनाएं दूरी
खरमान (Kharmas 2025 date) की अवधि के दौरान कई तरह के नियमों का ध्यान रखा जाता है ताकि साधक को इसके नकारात्मक परिणाम न मिलें। साथ ही इस अवधि में सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि खरमास के दौरान क्या करना चाहिए और किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से खरमान को एक महत्वपूर्ण अवधि माना गया है। इसकी शुरुआत तब होती है, जब सूर्यदेव का गोचर बृहस्पति की राशियों यानी धनु या फिर मीन में होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में सूर्य देव की ऊर्जा की प्रभावशीलता कम हो जाती है। ऐसे में अगर आप इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करते हैं, तो उनका शुभ परिणाम नहीं मिलता।
कब से शुरू होगा खरमास
फिलहाल सूर्य देव कुंभ राशि में विराजमान हैं और वह इस राशि में वह 13 मार्च तक रहने वाले हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार,14 मार्च 2025 को सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, इस प्रकार 14 मार्च 2025 से खरमास शुरू होगा।
खरमास में क्या करना चाहिए
खरमास में सूर्य देव को जल अर्पित करने और उनकी पूजा-अर्चना करना काफी शुभ माना जाता है। इसी के साथ खरमास में दान-पुण्य करना भी काफी पुण्यकारी माना गया है। ऐसे में आप गरीबों व जरूरतमंद लोगों को बीच अपनी क्षमता के अनुसार अन्न और धन का दान कर सकते हैं। इस अवधि में आप घर में भगवत गीता या सत्यनारायण की कथा का आयोजन कर सकते हैं, इससे आपको काफी लाभ देखने को मिल सकता है।
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नहीं कर सकते ये काम
खरमास में धार्मिक व मांगलिक कार्य जैसे वैवाहिक कार्यक्रम, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि किए जाते। साथ ही इस अवधि में नया वाहन, घर या प्रॉपर्टी खरीदना या फिर नए काम की शुरुआत करना भी शुभ नहीं माना जाता। वहीं खरमास में गाड़ी, घर, या इस प्रकार की चीज़ें खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता।
सूर्य देव को कैसे अर्पित करें जल
- - सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें।
- - इसके बाद एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल और रोली मिलाएं।
- - अब सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- - जल की गिरती धार के साथ सूर्य की किरणों को देखते रहें।
- - इस दौरान ॐ सूर्याय नम: का जप भी करते रहें।
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