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    Kawad Yatra 2025: सावन में कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, जानिए यहां इसकी पूरी डिटेल

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 03:14 PM (IST)

    देवाधिदेव महादेव का प्रिया महीना सावन 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त 2025 को समाप्त होगा। भोलेनाथ के भक्त सावन में सोमवार को व्रत रखने के अलावा कांवड़ यात्रा भी निकलेंगे। आइए जानते हैं इसके बारे... 

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    कांवड़ यात्रा के कुछ बुनियादी नियमों का पालन करना जरूरी होता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मान्यता है कि देवाधिदेव महादेव के प्रिया महीने सावन में पहली बार कांवड़ यात्रा की शुरूआत (Kawad Yatra tradition history) भगवान परशुराम ने की थी। तब से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है। हरिद्वार और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थान से भोलेनाथ के भक्त पवित्र नदियों का जल कांवड़ में भरते हैं और शिवालियों में जाकर उसे जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।

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    11 जुलाई से शुरू होगी कांवड़ यात्रा

    कावड़ यात्रा की शुरुआत (Sawan Kawad Yatra start date) सावन के पहले दिन से यानी 11 जुलाई 2025 से ही शुरू हो जाएगी। आखिरी दिन यानी 9 अगस्त तक भक्त कांवड़ लेकर निकलेंगे। इस पवित्र धार्मिक यात्रा में शिव भक्त गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी से जल लेकर अपने पास के शिव मंदिर में भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।

    खास तौर पर उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra 2025) बड़े पैमाने पर निकलती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु कांवड़ लेकर शिवजी का जलाभिषेक करते हैं। कुछ लोग अपनी मन्नत के पूरा होने पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए कांवड़ लेकर निकलते हैं।

    वहीं, कुछ लोग निस्वार्थ और निष्काम भक्ति से कांवड़ लेकर निकलते हैं। इस दौरान सैकड़ों किलोमीटर की लंबी यात्रा शिवभक्त करते हैं।

    kanwar yatra 2025

    कठिन होते हैं कांवड़ के नियम

    कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर यात्रा पूरी नहीं होता है। आइए जानते हैं कांवड़ निकलते समय क्या नहीं करना चाहिए।

    कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह के का नशा नहीं करना चाहिए। शराब, पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

    एक बार कावड़ कंधे पर उठाने के बाद उसको जमीन पर नहीं रखा जा सकता। ऐसा करने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है। जमीन पर कांवड़ को रखने के बाद फिर से जल भरकर यात्रा शुरू करनी होती है।

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    नित्यक्रियाओं के लिए अगर जा रहे हैं, तो कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए। स्नान करने के बाद ही दोबारा कांवड़ को छूना चाहिए।

    कांवड़ को किसी के ऊपर से नहीं ले जाना चाहिए। साथ ही कांवड़ यात्रा के दौरान चमड़ा स्पर्श नहीं करना चाहिए।

    कांवड़ को सिर के ऊपर भी नहीं रखना चाहिए। कांवड़ियों को सोने या आराम करने के लिए बिस्तर या खटिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।