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    Kanwar Yatra 2024: कब और कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत? पढ़ें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

    सावन में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024) की शुरुआत होती है जिसका समापन सावन पूर्णिमा पर होता है। इस उत्सव के दौरान शिव भक्तों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है। कांवड़ लाने के बाद सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 02 Jul 2024 01:22 PM (IST)
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    Kanwar Yatra 2024: सावन का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kanwar Yatra 2024 Start And End Date: देवों के महादेव को सावन महीना बेहद प्रिय है। इस माह में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विधिपूर्वक सोमवार का व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। साथ ही महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन में कांवड़ यात्रा का प्रारंभ होता है, जिसमें अधिक संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं। क्‍या आपको पता है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

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    इस दिन से शुरू होगी कांवड़ यात्रा 2024

    पंचांग के अनुसार, इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होगी। वहीं, इसका समापन 02 अगस्त 2024 यानी सावन शिवरात्रि के दिन होगा।

    कांवड़ यात्रा की पहली कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। उनके अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की। ऐसे में उनके पुत्र श्रवण कुमार ने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बैठाकर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। इसके पश्चात वह अपने साथ वहां से गंगाजल लेकर, जिससे उन्होंने भगवन शिव का विधिपूर्वक अभिषेक। धार्मिक मान्यता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

    कांवड़ यात्रा की दूसरी कथा

    इसके अलावा कांवड़ यात्रा की शुरुआत की दूसरी कथा भी प्रचलित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने से महादेव का गला जलने लगा, तो ऐसी स्थिति में देवी देवताओं ने गंगाजल से प्रभु का जलाभिषेक किया, जिससे प्रभु को विष के असर से मुक्ति मिली। ऐसा माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

    Pic Credit- Freepik