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    Karthigai Deepam 2025: आज है मासिक कार्तिगाई, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    मासिक कार्तिगाई दीपम (Karthigai Deepam 2025) एक प्रसिद्ध तमील पर्व है। इस दिन लोग अपने घरो और मंदिरों को भव्य तरीके से सजाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव के साथ उनके पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही सभी दुखों का अंत होता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 06 Feb 2025 09:17 AM (IST)
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    Karthigai Deepam 2025: मासिक कार्तिगाई पूजा का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक कार्तिगाई का पर्व बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। यह तमील महीने कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा करने के लिए समर्पित है। इसके अलावा इस दिन कृतिका नक्षत्र की भी पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह 6 फरवरी 2025 यानी आज मनाया जा रहा है।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक कार्तिगाई (Karthigai Deepam 2025) पर लोग उपवास, प्रार्थना, दीपक जलाने के साथ अन्य पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से सुरक्षा, ज्ञान और सभी दुखों का अंत होता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

    मासिक कार्तिगाई शुभ मुहूर्त (Karthigai Deepam 2025 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 01 मिनट से 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।

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    मासिक कार्तिगाई पूजा अनुष्ठान (Karthigai Deepam 2025 Puja Vidhi)

    मासिक कार्तिगाई के पर लोग अपने घर और उसके आसपास तेल के दीपक जलाते हैं। दीप जलाना अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं और भोजन के रूप में फलहारी करते हैं। इस दिन लोग शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें फूल, बेल के पत्ते, धूप-दीप आदि अर्पित करते हैं। इसके साथ ही इस मौके पर भगवान मुरुगन की पूजा जरूर करनी चाहिए। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त उनका अभिषेक करें। इसके साथ ही उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें फूल, घर पर बनी मिठाई, वस्त्र, धन, अक्षत और दीप-धूप अर्पित करें।

    अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें। इसके अलावा इस दिन तामसिक चीजों से बचने की सलाह दी जाती है। साथ ही दान-पुण्य का भी विधान है।

    भगवान शिव मंत्र (Shiv Ji Mantra)

    • ''ॐ नमः शिवाय''।।
    • ''ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''।।

    मुरुगन स्वामी मंत्र ( Lord Murugan Mantra)

    • ''ॐ कर्तिकेयाय विद्महे षष्ठीनाथाय: धीमहि तन्नो कार्तिकेय प्रचोदयात्''।।
    • ''ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कन्दा वल्लीईकल्याणा

      सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते''।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।