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    Kamika Ekadashi 2024: इन चीजों से करें भगवान विष्णु की पूजा, मिलेगा अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल!

    कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की आराधना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन का व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। इस साल कामिका एकादशी 31 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी तो चलिए इस दिन से जुड़ी संपूर्ण महत्वपूर्ण बातों को यहां जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 29 Jul 2024 10:45 AM (IST)
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    Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी सामग्री लिस्ट

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कामिका एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो सावन माह के 11वें दिन पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह व्रत 31 जुलाई, 2024 को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा के लिए समर्पित, जिसे भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दौरान पवित्र व्रत का पालन करते हैं, उन्हें सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उनका जीवन सदैव सुखी रहता है।

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    वहीं, जो लोग इस व्रत (Kamika Ekadashi 2024 Vrat) का पालन करते हैं, उन्हें अपनी पूजा थाली के लिए यहां दी गई सामग्री लिस्ट को अवश्य पढ़ना चाहिए, जिससे पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े।

    कामिका एकादशी सामग्री लिस्ट

    चौकी, पीला या लाल वस्त्र, ऋतु फल, दूध-दही, शहद, गोपी चंदन, हल्दी, फूल, लौंग, आम का पत्ता, नारियल और सुपारी, पान, धूप, दीप, दीया, घी, पीला चंदन, अक्षत, कुमकुम मिठाई, तुलसी दल, पंचमेवा, धूप, दीपक, बत्ती, गंगाजल, शुद्ध जल, हवन कुंड, हवन सामग्री, एकादशी कथा की पुस्तक, देवी लक्ष्मी के लिए शृंगार की सामग्री।

    कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व

    कामिका एकादशी का हिंदुओं के बीच बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। सावन में आने की वजह से यह अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। यह पर्व शिव भक्तों और विष्णु जी के भक्तों के लिए विशेष है। यह चतुर्मास के दौरान पड़ने वाली पहली एकादशी भी है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस व्रत को रखते हैं, उन्हें अपने बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।

    ऐसा भी कहा जाता है, यह कठिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के निवास स्थान बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है और अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। इसलिए भक्तों को इस व्रत का पालन पवित्रता के साथ करना चाहिए।

    विष्णु जी भोग

    पंचामृत और पंजीरी।

    श्री हरि पूजन मंत्र

    1. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    2. ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

    3. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

    ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।