Kamdhenu: कामधेनु गाय क्यों है इतनी दिव्य, जानिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें
हिंदू शास्त्रों में गाय को रोजाना रोटी खिलाना भी बहुत पुण्य का काम माना गया है। वहीं गाय को माता कहकर संबोधित किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामधेनु गाय बहुत ही दिव्य मानी गई है। आपने कई लोगों को कामधेनु गाय की मूर्ति या तस्वीर घर में रखते देखा होगा। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गाय को केवल एक जानवर के रूप में ही नहीं, बल्कि माता के रूप में देखा जाता है। गाय देवी-देवताओं के समान ही पूजनीय है। दिव्य मानी जाने वाली कामधेनु गाय को कई देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। चलिए जानते हैं इस गाय से जुड़ी कुछ अद्भुत जानकारी।
क्यों थी इतनी खास
कामधेनु एक सफेद रंग की गाय है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, कामधेनु गाय का मुख एक महिला के समान था और बाकी शरीर गाय का है। देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे, जिसमें से कामधेनु गाय भी एक थी। दिव्य कामधेनु गाय व्यक्ति की किसी भी इच्छा की पूर्ति कर सकती थी। स्वर्ग कामधेनु गाय का निवास स्थान है। जिसके पास भी कामधेनु गाय होती थी, वह सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कहलाता था। साथ ही यह भी माना जाता है कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से सभी कष्टों का निवारण होता है।
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कामधेनु के सहायता से परोसे कई व्यंजन
एक पौराणिक कथा के अनुसार, सबसे पहले कामधेनु गाय ऋषि वशिष्ठ के पास थी। एक बार राजा विश्वामित्र ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में अतिथि बनकर आए। उन्होंने कामधेनु गाय की सहायता से राजा को अनेकों प्रकार के व्यंजनों से उनका सत्कार किया। यह देखकर राजा दंग रह गए कि ऋषि जिस प्रकार के व्यंजन उन्हें खिला रहे हैं, ऐसे तो महलों में भी नहीं मिलते। तब ऋषि ने उन्हें दिव्य कामधेनु गाय के बारे में बताया।
राजा और ऋषि में छिड़ा युद्ध
जिससे राजा के मन में इस दिव्य गाय को पाने की इच्छा प्रकट हुई और उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से इसकी मांग की। लेकिन ऋषि वशिष्ठ ने किसी भी कीमत पर इसे राजा को देने से मना कर दिया, जिससे राजा विश्वामित्र ने ऋषि वशिष्ठ पर आक्रमण कर दिया। राजा और ऋषि के बीच इस युद्ध को देखकर कामधेनु गाय बहुत दुखी हुई और वह वापस स्वर्ग लौट गईं। उसके बाद कामधेनु ने स्वर्ग को ही अपना स्थायी निवास स्थान बना लिया।
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