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    Kamada Ekadashi 2025 Bhog: कामदा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु को चढ़ाएं ये भोग, जानें इसका महत्व

    Updated: Sun, 06 Apr 2025 11:36 AM (IST)

    कामदा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से खास है बल्कि यह भक्तों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। इस दिन (Kamada Ekadashi 2025) भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उन्हें प्रिय भोग अर्पित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए तो चलिए इस आर्टिकल में श्री हरि के प्रिय भोग के बारे में जानते हैं।

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    Kamada Ekadashi 2025 Bhog: कामदा एकादशी भोग।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी का व्रत पुण्यदायी माना गया है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा। इस एकादशी का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन (Kamada Ekadashi 2025) भगवान विष्णु की विशेष पूजा-पाठ और व्रत का विधान है, तो चलिए यहां विष्णु जी को खुश करने के लिए एकादशी प्रसाद यानी विष्णु जी के प्रिय भोग के बारे में जानते हैं।

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    भगवान विष्णु के प्रिय भोग (Vishnu Ji Priya Bhog)

    कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए। इस व्रत में अनाज का सेवन करने की मनाही है, इसलिए भोग में ऐसी चीजें शामिल करें, जो व्रत के नियमों के अनुकूल हों। भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है, इसलिए भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें।

    फल - भगवान विष्णु को ताजे व ऋतु फल जैसे - केला, आम, अंगूर, खरबूजा और तरबूज आदि चीजें अर्पित करें।

    मेवे - सूखे मेवे जैसे - बादाम, काजू, किशमिश और पिस्ता आदि भी भोग में शामिल कर सकते हैं।

    पंजीरी और मिठाइयां - घर पर बनी धनिया की पंजीरी और मिठाइयां जैसे - पेड़ा, बर्फी या नारियल के लड्डू भी भोग में शामिल किए जा सकते हैं।

    पंचामृत - पंचामृत भगवान विष्णु को अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में इसे जरूर चढ़ाएं।

    कामदा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व (Kamada Ekadashi 2025 Significance )

    कामदा एकादशी का व्रत रखने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही इस व्रत को रखने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

    ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें शांति मिलती है। इसलिए इस पावन व्रत को जरूर रखें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।