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    Kalawa Niyam: कलावा पुराना होने पर क्या करें, यहां जाने रक्षा सूत्र बांधने और उतारने के नियम

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 19 Sep 2023 04:04 PM (IST)

    Kalawa Benefits कलावे को हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। साथ ही इसे बहुत ही पवित्र माना गया है इसलिए पूजा में भी इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। घर में हर शुभ अवसर या पूजा-पाठ में व्यक्ति की कलाई में कलावा जरूरी रूप से बांधा जाता है। आइए जानते हैं कलावा बांधने और उतारने के नियम।

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    kalawa bandhne ke niyam जानिए कलावा बांधने और उतारने के नियम।

    नई दिल्ली, अध्यात्म। kalawa bandhne ke Niyam: हिंदू धर्म में लाल और पीले कलावे को बहुत ही शुभ माना जाता है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या मांगलिक कार्य में जरूरी रूप से कलवा या मौली बांधी जाती है। चलिए जानते हैं कलावे से संबंधित कुछ नियम, जिनका ध्यान रखने पर व्यक्ति कई समस्याओं से बच सकता है। 

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    रक्षा सूत्र का महत्व

    सनातन धर्म में कलावे या मौली को रक्षा सूत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे बांधने से व्यक्ति की हर तरह से रक्षा होती है। साथ ही इसके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कई फायदे हैं। रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही व्यक्ति को कफ और पित्त से संबंधित रोगों से छुटकारा मिलता है।

    इस विधि से बांधें कलावा

    शास्त्रों के अनुसार कलावा बंधवाते समय हाथ में सिक्का लेकर मुट्ठी बंद कर लें। उसके बाद दूसरे हाथ को सिर पर रखें। कलावा बांधने समय 3, 5 या 7 बार कलावा कलाई पर लपेटना चाहिए। फिर कलावा बंध जाने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा कलावा बांधने वाले व्यक्ति को दें देनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार पुरुषों और कुंवारी लड़कियों को दाहिने हाथ में जबकि विवाहित महिलाओं को बांए हाथ में कलावा बांधना चाहिए।

    किस दिन उतारे कलावा

    हिंदू धर्म में कलावा उतारने के लिए भी कुछ दिनों का निर्धारण किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथ में बंधा हुआ कलवा केवल मंगलवार और शनिवार के दिन ही खोलना शुभ माना गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि हाथ से पुराना कलावा खोलने के बाद मंदिर से दूसरा कलवा बांध लेना चाहिए।

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    पुराने कलावें का क्या करें

    कलावा पुराना होने पर उसे इधर-उधर फेंकना या उतारकर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना शुभ नहीं माना गया। इसके स्थान पर आप उस कलावे को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित कर दें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'