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    Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर दुर्लभ 'शिव योग' समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, बरसेगी महादेव की कृपा

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 08:00 PM (IST)

    कालाष्टमी के दिन (Kalashtami 2025) भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही आर्थिक स्थिति अनुसार दान किया जाता है।

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    Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर्व का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 13 अक्टूबर को मासिक कालाष्टमी है। यह पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए काल भैरव देव के निमित्त व्रत रखा जाता है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की कठिन साधना की जाती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ शिव योग का संयोग बन रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। आइए, कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार 13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में काल भैरव देव की पूजा की जाती है। अत: 13 अक्टूबर को कार्तिक माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में देर रात 11 बजकर 42 मिनट से लेकर 12 बजकर 32 मिनट तक है।

    शिव योग (Shiv Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह की कालाष्टमी पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का संयोग सुबह 08 बजकर 10 मिनट से बन रहा है। वहीं, शिव योग को समापन 14 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 55 मिनट तक है। शिव योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी अधूरे काम बन जाएंगे। इसके साथ ही कालाष्टमी पर शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट पर
    • चंद्रोदय- देर रात 11 बजकर 20 मिनट पर
    • चंद्रास्त- दिन 01 बजकर 04 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।