Kalashtami 2025 Date: फरवरी महीने में कब है कालाष्टमी? यहां नोट करें सही डेट एवं योग
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण और काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja Vidhi) की जाती है। भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
तंत्र सीखने वाले साधकों के लिए कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बेहद खास होता है। इस शुभ अवसर पर साधक विशेष फल पाने के लिए या किसी काम में सफलता पाने के लिए काल भैरव देव की कठिन भक्ति करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए, फाल्गुन माह की कालाष्टमी के बारे में सबकुछ जानते हैं-
यह भी पढ़ें:जानें, क्यों काल भैरव देव को बाबा की नगरी का कोतवाल कहा जाता है?
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है। अत: 20 फरवरी को मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 12 बजकर 0 9 मिनट से लेकर 12 बजे तक है।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह की कालाष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शिववास का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी अटके काम बन जाएंगे। इसके अलावा, विशाखा और अनुराधा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 55 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 38 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 0 बजे तक
यह भी पढ़ें: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव का इन चीजों से करें अभिषेक, खूब बढ़ेगा बिजनेस
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।