Kalashtami 2025: मई में कब है कालाष्टमी? इस तरह करें काल भैरव देव की पूजा
हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी (Kalashtami 2025) व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मासिक कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी डर से छुटकारा मिलता है। साथ ही सभी मुरादें पूरी होती है। आइए जानते हैं कि मई में कब मनाया जाएगा मासिक कालाष्टमी का पर्व।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर महीने कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। आइए, मई माह की कालाष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कालाष्टमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2025 Date Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 मई को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 21 मई को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक कालाष्टमी का पर्व 20 मई को मनाया जाएगा।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 05 मिनट से 04 बजकर 46 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 07 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
कालाष्टमी की पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi)
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद दीपक जलाकर काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करें।
- काल भैरव देव की आरती करें और मंत्रों का जप करें।
- काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
- फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
- अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान गरीब लोगों में करें।
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ऐसे करें महादेव को प्रसन्न
अगर आप वास्तु दोष का सामना कर रहे हैं, तो कालाष्टमी के दिन घर डमरू लाएं। इसके बाद कालाष्टमी की पूजा के समय डमरू बजाएं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष दूर होता है।
भैरव देव मंत्र
1. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
2. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
3. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
4. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
5. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।
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