Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 29 May 2024 02:03 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि कालाष्टमी पर काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा जीवन में आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। अत साधक श्रद्धा भाव से कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा करते हैं। तंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन भक्ति करते हैं।

    Hero Image
    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मई को कालाष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और उनके रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि कालाष्टमी पर काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, जीवन में आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। अत: साधक श्रद्धा भाव से कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा करते हैं। तंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन भक्ति करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक को इच्छित वर देते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव के रौद्र रूप की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो कालाष्टमी तिथि पर विधि-विधान से काल भैरव देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: Rahu-Ketu Gochar 2024: राहु-केतु के गोचर से 4 राशियों की बदलेगी किस्मत, दूर होंगे सभी दुख और कष्ट

    बटुक भैरव स्तोत्र

    ॐ ह्रीं बटुको वरदः शूरो भैरवः कालभैरवः ।

    भैरवीवल्लभो भव्यो दण्डपाणिर्दयानिधिः ॥

    वेतालवाहनो रौद्रो रुद्रभ्रुकुटिसम्भवः ।

    कपाललोचनः कान्तः कामिनीवशकृद्वशी ॥

    आपदुद्धारणो धीरो हरिणाङ्कशिरोमणिः ।

    दंष्ट्राकरालो दष्टोष्ठौ धृष्टो दुष्टनिबर्हणः ॥

    सर्पहारः सर्पशिराः सर्पकुण्डलमण्डितः ।

    कपाली करुणापूर्णः कपालैकशिरोमणिः ॥

    श्मशानवासी मांसाशी मधुमत्तोऽट्टहासवान् ।

    वाग्मी वामव्रतो वामो वामदेवप्रियङ्करः ॥

    वनेचरो रात्रिचरो वसुदो वायुवेगवान् ।

    योगी योगव्रतधरो योगिनीवल्लभो युवा ॥

    वीरभद्रो विश्वनाथो विजेता वीरवन्दितः ।

    भृतध्यक्षो भूतिधरो भूतभीतिनिवारणः ॥

    कलङ्कहीनः कङ्काली क्रूरकुक्कुरवाहनः ।

    गाढो गहनगम्भीरो गणनाथसहोदरः ॥

    देवीपुत्रो दिव्यमूर्तिर्दीप्तिमान् दीप्तिलोचनः ।

    महासेनप्रियकरो मान्यो माधवमातुलः ॥

    भद्रकालीपतिर्भद्रो भद्रदो भद्रवाहनः ।

    पशूपहाररसिकः पाशी पशुपतिः पतिः ॥

    चण्डः प्रचण्डचण्डेशश्चण्डीहृदयनन्दनः ।

    दक्षो दक्षाध्वरहरो दिग्वासा दीर्घलोचनः ॥

    निरातङ्को निर्विकल्पः कल्पः कल्पान्तभैरवः ।

    मदताण्डवकृन्मत्तो महादेवप्रियो महान् ॥

    खट्वाङ्गपाणिः खातीतः खरशूलः खरान्तकृत् ।

    ब्रह्माण्डभेदनो ब्रह्मज्ञानी ब्राह्मणपालकः ॥

    दिग्चरो भूचरो भूष्णुः खेचरः खेलनप्रियः ।

    दिग्चरो सर्वदुष्टप्रहर्ता च सर्वरोगनिषूदनः ।

    सर्वकामप्रदः शर्वः सर्वपापनिकृन्तनः ॥

    इत्थमष्टोत्तरशतं नाम्नां सर्वसमृद्धिदम् ।

    आपदुद्धारजनकं बटुकस्य प्रकीर्तितम् ॥

    एतच्च शृणुयान्नित्यं लिखेद्वा स्थापयेद्गृहे ।

    धारयेद्वा गले बाहौ तस्य सर्वा समृद्धयः ॥

    न तस्य दुरितं किञ्चिन्न चोरनृपजं भयम् ।

    न चापस्मृतिरोगेभ्यो डाकिनीभ्यो भयं न हि ॥

    न कूष्माण्डग्रहादिभ्यो नापमृत्योर्न च ज्वरात् ।

    मासमेकं त्रिसन्ध्यं तु शुचिर्भूत्वा पठेन्नरः ॥

    सर्वदारिद्र्यनिर्मुक्तो निधिं पश्यति भूतले ।

    मासद्वयमधीयानः पादुकासिद्धिमान् भवेत् ॥

    अञ्जनं गुटिका खड्गं धातुवादरसायनम् ।

    सारस्वतं च वेतालवाहनं बिलसाधनम् ॥

    कार्यसिद्धिं महासिद्धिं मन्त्रं चैव समीहितम् ।

    वर्षमात्रमधीयानः प्राप्नुयात्साधकोत्तमः ॥

    एतत्ते कथितं देवि गुह्याद्गुह्यतरं परम् ।

    कलिकल्मषनाशनं वशीकरणं चाम्बिके ॥

    यह भी पढ़ें: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।