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    Kalashtami 2024: अप्रैल में कब मनाई जाएगी कालाष्टमी? इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

    Updated: Tue, 26 Mar 2024 09:00 PM (IST)

    कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव को समर्पित है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा और व्रत करने से साधक को खुशियों की प्राप्ति होती है और सभी तरह के प्रकार के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।

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    Kalashtami 2024: अप्रैल में कब मनाई जाएगी कालाष्टमी? इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2024 in April: सनातन धर्म में सभी व्रत और त्योहार किसी न किसी से देवी-देवता से संबंध रखते हैं। ऐसे में कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव को समर्पित है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा और व्रत करने से साधक को खुशियों की प्राप्ति होती है और सभी तरह के प्रकार के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं अप्रैल में कब है कालाष्टमी व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    कालाष्टमी 2024 अप्रैल शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2024 April Shubh Muhurat)

    चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 01 अप्रैल को रात 09 बजकर 09 से होगी और इसके अगले दिन यानी 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में कालाष्टमी व्रत 01 अप्रैल को किया जाएगा।  

    कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi)

    कालाष्टमी के दिन ब्रह्म बेला में उठें और दिन की शुरुआत काल भैरव देव के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान करें और साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें।  इसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर काल भैरव देव की मूर्ति या तस्वीर को विराजित करें। अब उन्हें बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें। अब दीपक जलाकर आरती करें और सच्चे मन से भैरव कवच का पाठ करें। विशेष चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद फलाहार करें। रात्रि में कीर्तन और भजन करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ के बाद व्रत खोलें।

     

    कालाष्टमी का महत्व

    कालाष्टमी के अवसर भगवान काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-व्रत करने से इंसान के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सुख-शांति मिलती है। साथ ही भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

     

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