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    Mauni Amavasya 2025: अगले साल कब है मौनी अमावस्या? अभी नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 09:24 AM (IST)

    सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन रहना शुभ होता है। इसके अलावा पवित्र नदी में स्नान करना जातक के जीवन के लिए फलदायी साबित होता है। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने में अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। साथ ही श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान किया जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक को पितृ दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन के दुख और संकट दूर होते हैं। माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Kab Hai Mauni Amavasya 2025) के नाम से जाना जाता है। ऐसे में चलिए आपको बताएंगे माघ माह की मौनी अमावस्या की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    मौनी अमावस्या 2025 डेट और टाइम (Mauni Amavasya 2025 Date and Time)

    पंचांग के अनुसार, इस बार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत 28 जनवरी को शाम को 07 बजकर 35 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम को 06 बजकर 05 मिनट पर होगी। ऐसे में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 05 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक

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    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 11 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 58 मिनट पर

    चंद्रोदय - कोई नहीं

    चन्द्रास्त - शाम 05 बजकर 58 मिनट पर

    मौनी अमावस्या पूजा विधि

    इस दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दौरान सूर्य देव के मंत्रो का जप करें। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान करें। फूल और धूप चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों जप करें। इसके बाद फल, दूध, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप

    1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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