Mangala Gauri Vrat in 2025: कब रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत? जानिए महत्व और पूजन नियम
मंगला गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित है और यह सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। विवाहित महिलाएं इस व्रत (Mangala Gauri Vrat in 2025) को अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है जिसमें 16 प्रकार की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मंगला गौरी व्रत बेहद शुभ माना जाता है। यह देवी पार्वती को समर्पित है। इसका पालन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत सावन के महीने में आता है, जो कि भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। जानकारी के लिए बता दें कि यह व्रत (Mangala Gauri Vrat in 2025) सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। इस साल ये कब-कब किया जाएगा? आइए इसकी सही डेट जानते हैं।
मंगला गौरी व्रत 2025 की डेट लिस्ट (Mangala Gauri Vrat Date List 2025)
- पहला मंगला गौरी व्रत (First Mangal Gauri Vrat 2025) - 15 जुलाई 2025
- दूसरा मंगला गौरी व्रत (Second Mangal Gauri Vrat 2025) - 22 जुलाई 2025
- तीसरा मंगला गौरी व्रत (Third Mangal Gauri Vrat 2025) - 29 जुलाई 2025
- चौथा मंगला गौरी व्रत (Fourth Mangal Gauri Vrat 2025) - 05 अगस्त 2025
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangala Gauri Vrat 2025 Puja Vidhi)
- एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- माता पार्वती को स्नान कराएं।
- सोलह शृंगार की सामग्री अर्पित करें और खुद भी करें।
- पूजा में 16 प्रकार के फल, फूल, पत्ते, मिठाई और अन्य सामग्री चढ़ाएं, क्योंकि इस उपवास में सोलह की संख्या का खास महत्व है।
- माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
- मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में माता पार्वती की भव्य आरती करें।
- देवी के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
- पूजा में तामसिक चीजों से परहेज करें।
- व्रती सिर्फ फलाहार करें और अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत रखें।
- अगले दिन उपवास का पालन करें।
मंगला गौरी व्रत का धार्मिक महत्व (Mangala Gauri Vrat 2025 Significance)
हिंदुओं के बीच मंगला गौरी व्रत धार्मिक महत्व रखता है। मंगला गौरी व्रत आमतौर पर विवाहित महिलाएं रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की लंबी उम्र, संतान सुख, परिवार में खुशहाली और कुंडली में मांगलिक दोष का प्रभाव कम होता है। इसके साथ ही विवाह से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं।
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