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    Kaal Bhairav Jayanti 2024: इस आरती से करें भगवान काल भैरव की पूजा, घर में होगी खुशियों की बरसात

    Updated: Fri, 22 Nov 2024 08:17 AM (IST)

    काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2024) का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। वहीं यह तिथि तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही अच्छी होती है। ऐसी मान्यता है कि भैरव बाबा बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और अपने सभी भक्तों के दुखों को दूर करते हैं। इसलिए इस मौके पर उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

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    Kaal Bhairav Jayanti 2024: इस आरती से करें भगवान काल भैरव की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस शुभ दिन पर साधक भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव जी की पूजा करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 22 नवंबर, 2024 यानी आज के दिन मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर पूजा-अर्चना और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है।

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    इसके साथ ही घर में शुभता का आगमन होता है। वहीं, इस दिन भैरव बाबा की भव्य आरती करने का भी विधान है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    ।। भगवान काल भैरव की आरती।।

    जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।

    जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

    तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।

    भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

    वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।

    महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।

    तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।

    चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।

    तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।

    कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।

    पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।

    बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।

    बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।

    कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

    भगवान शिव की आरती।। (Bhagwan Shiv Aarti In Hindi)

    जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव...॥

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव...॥

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा...॥

    यह भी पढ़ें: Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर राशि अनुसार करें शिव जी का अभिषेक, होगा कल्याण

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।