Jyestha Purnima 2025: 10 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा, भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा की ऐसे करें तैयारी
Jyestha Purnima 2025 ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून 2025 को है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा और वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। सत्यनारायण कथा से सांसारिक दुखों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Satyanarayan Vrat Katha: ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि इस बार 10 जून 2025 को पड़ रही है। इस बार पूर्णिमा तिथि पर वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए हर वर्ष रखती हैं। इस व्रत में दिनभर व्रत और पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
इसके अलावा पूर्णिमा तिथि को भगवान सत्यनाराणय की कथा करने का भी विधान है। इससे मनुष्य के सभी सांसारिक दुखों का नाश होता है। सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में वह मोक्ष को प्राप्त कर बैकुंठ धाम चला जाता है।
भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। इसमें बताया गया है कि भगवान विष्णु ने देवर्षि नारद को यह कथा सुनाई और इस व्रत का महत्व भी बताया है। इस व्रत को पूर्णिमा, एकादशी या गुरुवार के दिन किया जाता है।
इन चीजों की होगी जरूरत
भगवान सत्यनाराण की पूजा की तैयारी के लिए श्री सत्यनारायण की प्रतिमा या फोटो, धूप, दीपक, चावल, कलश, हल्दी, कलावा, पंचामृत, प्रसाद, जनेऊ, नारियल, हवन का पैकेट, जौ, फल, फूल, तुलसी, पान और सुपारी, दक्षिणा की जरूरत होगी। वहीं, पूजा करने के लिए सत्यनारायण व्रत कथा की किताब होनी चाहिए।
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व्रत का संकल्प लें
भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा करने से पहले सुबह उठकर आपको इसका संकल्प लेना होगा। इसके बाद आप किसी योग्य ब्राह्मण या पंडित को बुलाकर कथा सुन सकते हैं। यदि आपका उपनयन संस्कार हो चुका है और आपके घर में पूजा की परंपरा रही है, तो आप स्वयं भी कथा पढ़ सकते हैं।
कथा के बाद भगवान सत्यनारायण की आरती करें। इसके बाद हवन करें। कथा के बाद प्रसाद का वितरण करें और खुद भी प्रसाद खाएं।
सत्यनारायण कथा के लिए भोग
भगवान श्री सत्यनारायण कथा में प्रसाद के लिए गेंहू की पंजीरी का भोग लगाया जाता है। पंजीरी बनाने के लिए सबसे पहले गेंहू के आटे को देशी घी में भूनते है, फिर उसमें चीनी के अलावा पंच मेवा डाली जाती है।
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