Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ अमावस्या की रात करें ये चमत्कारी उपाय, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति
ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है जिसे शनि जयंती और वट सावित्री व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। यह पितरों की शांति और शनिदेव को प्रसन्न करने का उत्तम दिन है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए कई सारे उपाय बताए गए हैं आइए उन्हें जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ अमावस्या का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इसे शनि जयंती और वट सावित्री व्रत के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति, कालसर्प दोष निवारण और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस साल यह (Jyeshtha Amavasya 2025) 26 मई को पड़ रही है।
इस विशेष पर्व की रात को लेकर कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिसे करने से बेहद शुभ परिणाम मिलते हैं, आइए उनके बारे में जानते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या को करें ये उपाय (Do These Remedies On Jyeshtha Amavasya)
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पितृ दोष के लिए
- अमावस्या की रात को पीपल के पेड़ के नीचे एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद 'ॐ पितृभ्यः नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
- किसी तालाब या नदी तट पर जाकर आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। यह पितरों की शांति के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- रात में घर की दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का एक दीपक जलाएं और उसे रात भर जलने दें। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
धन के लिए
- अमावस्या की रात को अपने घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती और धन से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं।
- एक चांदी की छोटी कटोरी में लौंग और कपूर डालकर जलाएं। इसे पूरे घर में घूमाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर धन आगमन के रास्ते खोलता है।
रोग नाश के लिए
- अमावस्या की रात को एक मुट्ठी काले तिल लेकर अपने सिर के ऊपर से 7 बार एंटी-क्लॉकवाइज घुमाकर किसी चौराहे पर फेंक दें। ऐसा करते समय रोग मुक्ति की प्रार्थना करें।
- शनिदेव के मंदिर में सरसों का तेल और काले तिल का दान करें। इससे लंबे समय से चल रही बीमारी धीरे-धीरे ठीक होने लगती है।
पूजा मंत्र (Jyeshtha Amavasya 2025 Puja Mantra)
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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